अम्बिकापुर। अपराध को रोकने और अपराधी तक पहुंचने के लिए फोरेंसिक विज्ञान की जानकारी होना जरूरी है। यह बातें श्री साईं बाबा आदर्श स्नातकोत्तर महाविद्यालय में कार्यशाला के दौरान मानव विज्ञान विभाग के विभागधयक्ष डॉ. श्रीराम बघेल ने कही।
उन्होंने कहा कि अपराध का प्रथम दृश्य ही अन्वेषण के लिए निर्णायक होता है। कार्यशाला के दौरान विद्यार्थियों को क्राइम का डेमो दिखाया गया। डेमो में क्राइम के दौरान होने वाली प्रत्येक गतिविधि को दर्शाया गया। उन्होंने अपराधस्थल से साक्ष्यों को देखने और उसे परखने के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि साक्ष्य स्थल का फिंगर प्रिंट, कपड़े, कपड़े पर पड़े निशान, स्थल के आसपास के बिखरे सामान, मौके की तस्वीर, जमीन के फूटप्रिंट को देखना और सहेजना होगा। साक्ष्यों का संग्रहण जितना बारीकी से होगा, उतना ही तेजी से मामले का खुलासा किया जा सकेगा। अपराध के बाद के साक्ष्य, चिह्नों को सहेजना और परखना फोरेंसिक विज्ञान का काम है।
प्राचार्य डॉ. राजेश श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में आयोजित कार्यशाला में फोरेंसिक एंथ्रोपोलॉजी एडऑन कोर्स के सभी विद्यार्थी उपस्थित रहे।