चेक लिस्ट सही नहीं भरने से आरोपियों को मिलता है जमानत, दोषमुक्ति का लाभ आईजी ने न्यायपालिक मजिस्ट्रेट के साथ की रेंज स्तरीय वर्चुअल बैठक


अंबिकापुर। पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा रेंज राम गोपाल गर्ग ने न्यापालिक मजिस्ट्रेट अमित जिंदल, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सरगुजा के साथ संयुक्त रूप से रेंज स्तरीय एक वर्चुअल मीटिंग आयोजित की गई, जिसमें विवेचकों को आरोपियों की गिरफ्तारी के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। इसका मुख्य उद्देश्य रेंज के समस्त विवेचकों को आरोपियों की गिरफ्तारी के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी देना था। इस दौरान अर्नेश कुमार वर्सेस बिहार राज्य सन 2014 में पारित आदेशों तथा नियमों के संबंध में विस्तृत चर्चा कर अभियुक्तों की गिरफ्तारी के संबंध में दंप्रसं की धारा अंतर्गत चेक लिस्ट भरने महत्वपूर्ण प्रावधानों से अवगत कराया गया ।
बता दें कि पुलिस महानिरीक्षक ने हाल ही में रेंज स्तरीय लंबित प्रकरणों, दोष मुक्ति प्रकरणों तथा 420 (धोखाधड़ी) के प्रकरणों की समीक्षा की है। समीक्षा के दौरान ऐसे प्रकरण जिसमें आरोपियों को सात साल तक की सजा का प्रावधान है, उनकी गिरफ्तारी से पूर्व महत्वपूर्ण नियमों जिन्हें दंप्रंसं की धारा 41 (ढ्ढ)(ख)(ढ्ढढ्ढ) के अंतर्गत पूर्ण की जाती है, उन प्रकरणों में यह देखा गया कि विवेचकों द्वारा गिरफ्तारी संबंधी चेक लिस्ट सही तरीके से नहीं भरा गया, जिस कारण आरोपियों को जमानत का लाभ मिल गया। विवेचना पूर्ण होने के पश्चात प्रकरण की समीक्षा में इन बिंदुओं को विवेचना में त्रुटि के रूप में अंकित किया जाता है, जिस कारण आरोपियों को प्रकरण में दोषमुक्ति का लाभ मिल जाता है। प्रकरण में आरोपियों को दोष सिद्ध कराए जाने के उद्देश्य से आईजी सरगुजा द्वारा अनूठी पहल करते हुए सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सरगुजा अमित जिंदल के माध्यम से रेंज के समस्त पुलिस अधीक्षकों, राजपत्रित अधिकारियों एवं विवेचकों को वर्चुअल कार्यशाला के माध्यम से सात साल तक सजा वाले प्रकरणों के आरोपियों की गिरफ्तारी संबंधी महत्वपूर्ण प्रावधानों के संबंध में जानकारी दी गई, जिससे विवेचकों द्वारा विवेचना में त्रुटि होने की संभावना न हो व दोषियों को उसके किए गए अपराध की मुकम्मल सजा मिल सके। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ न्यायाधीश अमित जिंदल द्वारा आईपीसी की धारा 195 तथा 195 ए, जिसके अंतर्गत न्यायालयीन प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करना जैसे अपराध शामिल हैं, के बारे में भी पुलिस अधिकारियों को समझाया गया। वर्चुअल कार्यशाला में रेंज के समस्त पुलिस अधीक्षक, राजपत्रित अधिकारी, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर तथा अन्य विवेचक व पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय से क्राइम रीडर शामिल थे।

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