चीफ जस्टिस एनवी रमण ने कहा कि एक सांविधानिक गणराज्य तभी समृद्ध हो सकता है, जब नागरिकों को पता हो कि संविधान क्या चाहता है। उन्होंने हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय रायपुर के पांचवें दीक्षांत समारोह में रविवार को कहा कि सभी नागरिकों को अपने अधिकार और कर्तव्य पता होने चाहिए। विधि स्नातकों से भी उम्मीद जताई कि वे लोगों को आसान भाषा में संविधान के प्रावधान समझाएं।
उन्होंने दुख जताया कि ‘देश के सुप्रीम दस्तावेज’ यानी संविधान को कुछ लॉ स्टूडेंट्, वकील और आबादी का छोटा हिस्सा ही समझ पा रहे हैं। जबकि यह हर नागरिक का संविधान है और आधुनिक भारत को परिभाषित करता है। उन्होंने इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना अपना और पूरे विधि समुदाय का दायित्व बताया। चीफ जस्टिस ने राज्य में न्यायिक बुनियादी क्षेत्र में हुए कामों को सराहा और इसे देश के लिए रोल मॉडल बनने की उम्मीद जताई। विवि से बीएएलएलबी के 60, बीए एलएलबी ऑनर्स के 147, एलएलएम के कुल 110 विद्यार्थी स्नातक हुए।
मेहनती युवाओं का है कानूनी पेशा
चीफ जस्टिस ने कहा कि अब कानूनी पेशे में इससे जुड़े परिवारों से आने का महत्व घट रहा है। बल्कि परिवार में पहली बार वकील बने नये युवा अपनी मेहनत से चमकते दिख रहे हैं। पेशे में नई ऊंचाइयां हासिल कर रहे हैं।
युवा विश्व-नागरिक बना रहे, क्रांतियां ला रहे । युवा आज पूरी दुनिया में क्रांति ला रहे हैं, चाहे जलवायु संकट हो या मानवाधिकार। पूरी दुनिया को तकनीक के जरिए एक भी कर रहे हैं। बल्कि सभी को विश्व- नागरिक बना रहे हैं।
हरफनमौला बनें : क्लाइंट अपेक्षा करता है कि उसका वकील कारोबार से लेकर समाज और खेलों तक की गहरी समझ रखें। केवल कानून जानना काफी नहीं, वकील को हरफनमौला बनना होगा। नए विचारों की आलोचना होती है, उसकी चिंता न करें।
सोशल इंजीनियर बनें : कानून सामाजिक बदलावों का औजार हैं, विधि के छात्रों को ‘सोशल इंजीनियर’ बनना चाहिए। सरकार और असामाजिक तत्व कमजोर वर्गों पर सबसे ज्यादा जुल्म करते हैं, युवा वकील इनके अधिकारों के लिए लड़ें, समाज को इसकी जरूरत है।
प्रो -बोनो केस लें : जनता की भलाई के लिए निशुल्क यानी प्रो-बोनो केस ज्यादा हाथ में लें। पैसा कमाने की दौड़ में न भूलें कि आपके हाथ में एक ताकत हैं, इस नजरिए से दुनिया को देखें और लड़ें। website website