क्या फैसला लेंगे टी.एस.सिंह देव, 2023 चुनाव को लेकर सियासी भूचाल का इंतजार सभी को

एक बार फिर से छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारे में टी एस सिंह देव के बयान ने कड़कड़ाती ठंडे में छत्तीसगढ़ की सियासी गर्मी बढ़ा दी है। सिंहदेव अन दिनों लगातार अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर मिडिया में बयान देते हुए देखे जा सकते हैं, अम्बिकापुर दौरे पर पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री टी.एस.सिंह देव ने कहा कि अभी चुनाव लड़ने का मन नहीं बनाया है, वर्ष 2008, 2013 व 2018 में जो स्थिति थी, जिस तरह का मन बनाया हुआ था, वैसा मन अब तक चुनाव लड़ने को लेकर नहीं बनाया है, जल्द ही कुछ फैसला लूंगा, फैसले का अभी इंतजार करना चाहिए, जनता भी अभी इंतजार करे। मैंने हमेशा साथियों से सलाह लेकर, जनता से राय लेकर चुनाव लड़ा है, इस बार भी जो फैसला लूंगा, सबके सामने रहेगा।इसके पूर्व भी लगभग सप्ताह भर पहले टी एस सिंहदेव ने सूरजपुर में एक बयान दिया था कि चुनाव के पूर्व मैं अपने भविष्य को लेकर फैसला करूंगा। सूरजपुर में पत्रकारों ने सवाल किया था कि ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का मामला अब लगभग खत्म है और ऐसे में आपके समर्थकों में निराशा है, उनका काम तक नहीं हो रहा है, तब सिंहदेव ने कहा था कि मैं अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर फैसला लूंगा।

इसके पूर्व भी सिंहदेव ने कुछेक इस तरह के बयान दिये थे। प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव होना है और ऐसे में लगातार टी एस सिंह देव का ऐसा बयान न सिर्फ सत्तासीन कांग्रेस के लिए मुसीबत बन रहा है तथा आगामी राजनीतिक भूचाल की ओर इशारा कर रहा है, वहीं ऐसे बयान से भाजपा को भी कहीं न कहीं फायदा मिल रहा है। और आगामी सियासी भूचाल का भाजपा तो इंतजार कर ही रही है, जिससे वह फिर से सत्ता में वापसी कर ले। खैर सिंहदेव के फैसले का सभी को इंतजार है और उस सियासी भूचाल का भी जिसे लेकर राजनीतिक गलियारे में खासा चर्चा है।


2018 में हुए छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री के शपथ के बाद से ही ढाई-ढाई साल के एक फार्मूले की चर्चा सुबे में थी। लेकिन ढाई वर्ष बीतने के बाद भी पार्टी आलाकमान द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किये जाने से कहीं न कहीं सिंहदेव नाराज़ हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी की प्रदेश में वापसी को लेकर काफी मेहनत किया था। जिससे उन्हें बहुमत आने पर सत्ता में मुख्यमंत्री का पद मिलेगा। किन्तु बहुमत मिलने के बाद भी सिंहदेव कांग्रेस की सरकार होने पर भी अलग-थलग पड़े रहे। खासकर सरगुजा एक तरह से कांग्रेस के शासनकाल में उपेक्षित रहा। क्षेत्र से कांग्रेस को 14 सीटें मिली थीं और सिंहदेव ने कई कार्यों को लेकर वायदा किया था। लेकिन वायदे पर खरे नहीं उतरे जिससे वे क्षेत्र में भी जनता के बीच ज्यादा नहीं जा पाते, कहीं न कहीं क्षेत्र के लिये जनता के उम्मीद के मुबाबिक कार्य नहीं कर पाने का एक मलाल उनके मन में है। जिसे लेकर वे कार्यकर्ताओं को भी कहते नज़र आते हैं कि इससे ज्यादा कार्य तो विपक्ष के कार्यकाल में धरना-प्रर्दशन कर, पत्र लिखकर कर लिया करते थे। अपने ही सत्ता में विरोध करें तो किसका। शायद यहीं वजह है कि सिंहदेव 2023 चुनाव के पूर्व कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। उम्मीद यह भी जताई जा रही है कि सिंहदेव स्वयं अथवा उनके घर से कोई सदस्य भाजपा प्रवेश कर सकता है। ऐसे में सरगुजा की राजनीति ही पुरी तरह बदल जायेगी। राजनैतिक विशलेषकों का भी यह मानना है कि 2023 का चुनाव सरगुजा में बड़ा बदलाव लेकर आयेगा, अब वह बदलाव या तो कांग्रेस सिंहदेव की नाराज़गी दूर करके देगी, अथवा सिंहदेव अथवा उनके परिवार के किसी के भाजपा प्रवेश करने के बाद मिले। राजनीतिक जानकार कहते हैं सिंहदेव अथवा उनके परिवार के किसी व्यकित के भाजपा में चले जाने के मायने बहुत बड़े होंगे। जिन 14 सीटों पर आज कांग्रेस सरगुजा संभाग में है, उसमें से एक सीट निकालना कांग्रेस के लिये बहुत बड़ी चुनौती होगी। खैर 2023 के पहले सिंहदेव की राजनीति अथवा फैसला किस करवट बैठेगा, इसका इंतजार सभी को है।

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