कलेक्टर-एसपी बुलेटप्रूफ जैकेट पहन कर पहुंचे ग्रामीणों से सीधी बात करने चिरगा पहाड़ में सीमांकन की खबर पर परंपरागत हथियारों से लैसे होकर उमड़े ग्रामीण इधर ग्रामीणों ने कहा-मारकर मरबा देबो, जान चले जाए चाहे हमर चाहे ओकर


अंबिकापुर। सरगुजा जिले के बतौली ब्लॉक के ग्राम पंचायत चिरगा में प्रस्तावित मां कुदरगढ़ी एलुमिना रिफाइनरी फैक्ट्री की स्थापना के विरोध का मसला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले ने और भी तूल पकड़ लिया है। प्रशासन की समझाइश के बावजूद प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण जल, जंगल व जमीन की रक्षा के लिए पहाड़ पर डेरा जमा लिए हंै। प्रभावित ग्रामीणों का कहना है आखिरी सांस तक वे फैक्ट्री के विरोध में खड़े रहेंगे। महिला हों या पुरूष इनकी बानगी उनकी क्षेत्रीय भाषा में कुछ ऐसी रही-कलेक्टर आइस ता हमन ला माइक नहीं दिहिस बात करे बर। पब्लिक बर आइस, का पूछिस, का दिहिस हमन ला, कुछ बात नहीं सुनेन। कंपनी को जमीन देने की बात पर कहा-मारकर मरबा देबो, जान चले जाए चाहे हमर चाहे ओकर।
ऐसे हालात के बीच शनिवार को पुन: हजारों ग्रामीणों का जनसमूह उस पहाड़ में डटा रहा, जिसे फैक्ट्री स्थापना से बचाने के लिए सात गांव के लोग चार वर्ष से एकजुट हैं। हाल में प्रशासन के द्वारा आहूत शिविर से अधिकारियों को भगाने वाले यही ग्रामीण थे। शनिवार को सीमांकन कार्य के लिए राजस्व के अमले को गांव में आना था, इसकी खबर उन्हें मिली और वे घरों से निकल उस स्थल पर डट गए, जहां जमीन का सीमांकन होना था। सीमांकन के लिए गए अधिकारियों को उल्टे पांव वापस लौटना पड़ा। पहाड़ पर हजारों ग्रामीणों के लाठी-डंडा, तीर-धनुष से लैस होकर जमा होने की खबर पर कलेक्टर सरगुजा कुंदन कुमार, पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विवेक शुक्ला, नगर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण अखिलेश कौशिक के अलावा सीतापुर अनुविभाग के पुलिस अधिकारी इनके बीच पहुंचे। यहां से वापस आने के बाद इन्हें विश्वास है कि वे इन ग्रामीणों का विश्वास अर्जित कर लिए हैं, लेकिन इनके जाने के बाद सामने आई ग्रामीणों की बानगी कुछ और ही कह रही है। वे अपने गांव की जमीन एल्युमिना कंपनी स्थापना के लिए किसी भी कीमत में देने के पक्ष में नहीं हैं। इन्होंने यह भी कहा कलेक्टर और पुलिस मैडम अपनी बात माइक, चोंगा से कह गए, उन्हें कुछ कहने के लिए माइक क्यों नहीं दिया। कई ग्रामीणों का कहना है कलेक्टर, एसपी का गिटपिट उन्हें समझ में नहीं आया।
हाथों में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा, डंडा व तीर-कमान
हाथों में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा, डंडा व परंपरागत हथियार तीर-धनुष लिए ये ग्रामीण किसी भी राजनीतिक दल से ताल्लुक रखने वाले नहीं हंै, यह बात अलग है कि मौके की नजाकत को भांपते हुए क्षेत्र के पूर्व विधायक गोपाल राम इन ग्रामीणों के साथ पहाड़ में डटेे हैं। ये ग्रामीण किसी आंदोलन के लिए धरने पर नहीं बैठे हैं, इन्हें चिंता जल, जंगल, जमीन और गांव को प्रदूषण से बचाने की है। प्रस्तावित एलुमिना रिफाइनरी फैक्ट्री के खिलाफ वे पिछले चार सालों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वे क्षेत्र के विधायक अमरजीत भगत का घेराव भी पूर्व में कर चुके हैं। बहरहाल मां कुदरगढ़ी एलुमिना रिफाइनरी फैक्ट्री के विरोध में कई ग्राम पंचायत के ग्रामीणों की एकजुटता को देखते हुए ग्राम चिरंगा में प्रस्तावित फैक्ट्री की स्थापना फैक्ट्री प्रबंधन व जिला प्रशासन के लिए आसान नहीं है। क्योंकि जमीन सीमांकन की प्रक्रिया चर्चा में आने के साथ ग्रामीणों का आक्रोश और भी परवान पर देखने को मिल रहा है।
फैक्ट्री के लिए चाहिए 25 सौ एकड़ जमीन
अंबिकापुर जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर बतौली ब्लाक के ग्राम पंचायत चिरंगा में मां कुदरगढ़ी एलुमिना रिफाइनरी फैक्ट्री की स्थापना प्रस्तावित है। इसके लिए लगभग *25 सौ एकड़ भूमि की जरूरत है। फैक्ट्री के लिए जितनी जमीन चाहिए, उसमें सात गांवों के प्रभावित होने का अनुमान है। इसके बाद इन गांवों में रहने वाले लोगों को अपने जीवन-बसर की चिंता सता रही है। प्रदूषण का असर खेती पर पड़ेगा, इसे लेकर वे चिंतित हैं। ऐसे में क्षेत्र में निवासरत ग्रामीण नहीं चाहते कि यहां मां कुदरगढ़ी एलुमिना रिफाइनरी फैक्ट्री की स्थापना हो। यही वजह है कि ग्रामीण पिछले चार सालों से ग्राम चिरंगा स्थित पहाड़ पर डंडा व परंपरागत हथियार से लैस होकर हाथ में तीर-कमान लिए डेरा जमाए हुए हैं, ताकि फैक्ट्री प्रबंधन उनके गांव की सरहद तक फैक्ट्री की स्थापना न कर सके।
प्रशासन कह रहा-जमीन सीमांकन के लिए मिला है आवेदन
ग्राम चिरंगा में प्रस्तावित फैक्ट्री की स्थापना के लिए जमीन सीमांकन की प्रक्रिया शुरू होनी है। प्रशासन ने सीमांकन प्रक्रिया पूरी करने के लिए राजस्व अमले की टीम का गठन भी कर दिया है, लेकिन जिला प्रशासन के सामने सीमांकन प्रक्रिया पूरी करना किसी चट्टान को तोडऩे के तुल्य है। फैक्ट्री के विरोध में मोर्चा खोले ग्रामीणों के तेवर और तैश को देख कर नहीं लगता है कि जिला प्रशासन आसानी से सीमांकन प्रक्रिया पूरी कर पाएगा। शनिवार को सुरक्षा कवच पहनकर कलेक्टर कुंदन कुमार और पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता फैक्ट्री के विरोध में पहाड़ पर बैठे ग्रामीणों से मिलने पहुंचे। ताकि बातचीत के जरिए बीच का रास्ता निकल सके। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों को ग्रामीणों के विरोध और कड़क रवैये का शुरूआती दौर में ही सामना करना पड़ा। काफी देर तक हुई ग्रामीणों से बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकला। हालांकि कलेक्टर कुंदन कुमार का कहना है कि 90 ग्रामीणों ने जमीन सीमांकन के लिए आवेदन किया है। प्रस्तावित फैक्ट्री से सीमांकन की जाने वाली संबंधित जमीन का कोई लेना-देना नहीं है।
बतौली थाना छावनी का लिया रूप
शनिवार को सैकड़ों की संख्या में पुलिस अधिकारियों व जवानों की बतौली पुलिस थाने में मौजूदगी बनी रही। वहीं कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक के गांव की ओर कूच करने की जानकारी मिलने के बाद ग्राम चिरंगा के पहाड़ तक पुलिस की मौजूदगी से छावनी में तब्दील गांव का नजारा देखने को मिल रहा था। बतौली में आपात परिस्थिति में रवानगी के लिए पुलिस को लाने-ले जाने के लिए वाहनों की कतार लगी थी। हालांकि प्रशासन व पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी माइक-चोंगा लिए इन ग्रामीणों तक पहुंचे थे, ताकि इनके आक्रोश और शोर के बीच उनकी आवाज दबकर न रह जाए।
कलेक्टर कुंदन कुमार ने कहा
बतौली ब्लॉक के ग्राम चिरगा की पहाड़ी में तीन-चार हजार ग्रामीणों के अस्त्र-शस्त्र, पत्थर लेकर जमा होने की सूचना मिली थी। इनसे पहले बातचीत करने और प्रशासन के समक्ष अपनी बात रखने के लिए समझाइश देने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गए। प्रशासन की ओर से यहां की भूमि के सीमांकन आज कराया जाना था। ऐसे में गांव के लोगों के बीच में डायरेक्ट जाकर इनके भ्रम को दूर करने का हमने निर्णय लिया। ग्रामीण उग्र और गुस्से में थे, लाठी-डंडा से लैस थे। हमारे साथ सारे अधिकारी निहत्थे गए थे। इनके शांत होने पर हमने पहले इनकी समस्याएं सुनी। इनके द्वारा वर्ष 2019 से कंपनी नहीं खुले, इसका विरोध करने व उच्च न्यायालय भी मामले को लेकर जाने की बात कही गई। हमने उन्हें संदेश देने का प्रयास किया कि क्षेत्र जितना उनका है, उतना ही हमारा भी है। प्रशासन की ओर से इन्हें विश्वास दिलाया गया कि हम शासन के प्रतिनिधि हैं, शासन का काम करते हैं, कंपनी के प्रतिनिधि नहीं हैं।
पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता ने कहा
बतौली थाना अंतर्गत ग्राम पंचायत चिरगा, माझा, करदना सहित अन्य गांवों के लोग एल्युमिना प्लांट स्थापना का विरोध कर रहे हैं। यहां सीमांकन की प्रक्रिया प्रस्तावित थी। जिला व पुलिस प्रशासन की टीम सीमांकन के लिए आई थी, इसे कंपनी से युक्त करके पुरजोर विरोध किया गया। उग्र हालात व कानून विरोधी तरीके से ग्रामीण लाठी-डंडे व तीर-धनुष से लैस थे, जो अपराध की श्रेणी में आता है। कलेक्टर साहब की मंशा थी कि इन ग्रामीणों के बीच जाकर सीधे बातचीत की जाए। ग्रामीणों के बीच तमाम बातें रखी गई। इन्हें बताया गया कि आगामी दिनों में यहां शासकीय कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे। सीमांकन व अन्य कार्य में ग्रामीणों का समर्थन मिलेगा। सभी को एहतियात किया गया है कि कानून हाथ में न लें, ताकि हमें कानूनी कार्रवाई न करनी पड़े। पृथक से उच्च न्यायालय में कार्रवाई की जा रही है, वहां का जो मत सामने आएगा, उसे हम ग्रामीणों को प्रस्तावित करेंगे।

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