
आदित्य ठाकरे का कहना है कि ये मुद्दा हम उठाते रहे हैं और आगे भी लेंगे।
आदित्य ठाकरे (आदित्य ठाकरे) वर्ली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। आदित्य ठाकरे शिवसेना (शिवसेना) का युवा चेहरा हैं और साल 2009 के विधानसभा चुनाव (महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019) में वे पार्टी के लिए चुनाव प्रचार भी कर चुके हैं।
- Information18Hindi
- आखरी अपडेट:
18 अक्टूबर, 2019, 5:20 PM IST
युवा चेहरा आदित्य ठाकरे हैं
आदित्य ठाकरे शिवसेना का युवा चेहरा हैं और साल 2009 के विधानसभा चुनाव में वे पार्टी के लिए चुनाव प्रचार भी कर चुके हैं। शिवसेना की यूथ ब्रिगेड युवा सेना के भी वो अध्यक्ष हैं। आदित्य ठाकरे ने अपनी राजनीतिक पारी का आगाज जन-आशीर्वाद यात्रा निकाल कर किया। उनकी यात्रा को जनमर्थन हासिल हुआ। इस कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य युवा वेटरों को साथ जोड़ना था। इसके अलावा युवाओं से खुद को कनेक्ट करने के लिए उन्होंने कई मुद्दों पर महाराष्ट्र में कई जगह युवाओं के साथ आदित्य-संवाद भी किया।
कवि, रचनाकार भी आदित्य हैंआदित्य ठाकरे का जन्म 13 जून 1990 को हुआ था। दादा बाल ठाकरे कार्टूनिस्ट, पिता फोटोग्राफर और खुद आदित्य ठाकरे एक कवि हैं। इस युवा कवि हृदय ने बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल में पढ़ाई के दौरान अंग्रेजी में एक कविता संग्रह ‘माई थॉट इन ब्लैक ऐंड व्हाइट’ लिखा था। इसके अलावा आदित्य की साहित्य में भी रुचि है। उनके लिखे गीतों का एक खंड उम्मीद भी लॉन्च हो चुका है जिसमें सीता चौहा, सुरेश वाडेकर, कैलाश खेर और शंकर महादेवन ने सूर दिए हैं।
तीसरी पीढ़ी के ‘युवराज’ में शिवसेना देख रही भविष्य
ठाकरे परिवार की तीसरी पीढ़ी के युवराज में शिवसेना भविष्य देख रही है। केवल शिवसेना आदित्य ठाकरे में मुख्यमंत्री पद का वारिस भी देखती है। इतना जरूर है कि बीजेपी और शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर अगर राजनीतिक समीकरण शिवसेना के मुताबिक सही और पक्ष में साबित हुए तो आदित्य ठाकरे की उप-मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी सिर्फ कल्पना नहीं होगी।
शिवसेना को अपने राजनीतिक व देवताओं को नए स्वरूप देने के लिए सत्ता के अहम पद की सख्त दरकार है। हालांकि बीजेपी पहले ही ये साफ कर चुका है कि वो चुनाव में बड़े भाई की भूमिका में रहेंगे, मुख्यमंत्री के पद पर बीजेपी अपना दोबारा दावा पेश करेगी। ऐसे में शिवसेना के पास उप मुख्यमंत्री पद का विकल्प है और मौका आने पर शिवसेना ये कार्ड चलने से कतराएगी नहीं।
वर्ली से लड़ रहे हैं चुनाव
आदित्य ठाकरे परिवार के ऐसे दूसरे चेहरे होंगे जो चुनावी मैदान में उतरेंगे। इससे पहले राज ठाकरे की चचेरी बहन शालिनी ठाकरे लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुकी हैं। वह महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव हार गए थे। वर्ली को शिवसेना की सबसे सुरक्षित विधानसभा सीटों में से एक माना जाता है। यही कारण है कि आदित्य के राजनीति में डेब्यू के लिए वर्ली सीट को तवज्जो दी गई। वर्ली सीट से साल 2009 में सचिन अहीर विधायक बने थे जो अब एनसीपी को छोड़कर शिवसेना में शामिल हो गए थे। ऐसे में सचिन अहीर से भी आदित्य की उम्मीदवारी और दाव सूची को मजबूती मिलेगी।
राज ठाकरे ने नहीं उतारा उम्मेश्वर
वहीं खास बात ये है कि मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भतीजे आदित्य ठाकरे के खिलाफ उम्मीदवार न खड़ा करने का फैसला किया है। 53 साल के शिवसेना के इतिहास में ठाकरे परिवार की तरफ से किसी भी सदस्य ने चुनाव नहीं लड़ा था और न ही किसी संवैधानिक पद पर रहे। हालांकि साल 2014 में ऐसे राज ठाकरे के चुनाव लड़ने की संभावना बनी हुई थी लेकिन उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। अब आदित्य ठाकरे की वजह से पार्टी के संविधान में संशोधन हुआ है। देखना होगा कि आदित्य शिवसेना को अपने युवा नेतृत्व से कितनी ऊंचाई दे पाने में कामयाब हो पाते हैं।