हर्षवर्धन पाटिल के लिए इंदापुर की सीट सम्मान का सवाल क्यों बन गया? | महाराष्ट्र – हिंदी में समाचार

हर्षवर्धन पाटिल के लिए इंदापुर की सीट सम्मान का सवाल क्यों बन गया?

हर्षवर्धन पाटिल्डीपुर सीट से four बार विधायक रह चुके हैं

हर्षवर्धन पाटिल उन नेताओं में शुमार करते हैं जो कि लगातार four बार सरकार में मंत्री बने रहे हैं

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  • आखरी अपडेट:
    19 अक्टूबर, 2019, 12:58 PM IST

महाराष्ट्र की राजनीति में पुणे से निर्दलीय विधायक पारी शुरू करने वाले हर्षवर्धन पाटिल अब बीजेपी का चेहरा है। 10 साल कांग्रेस में गुज़ारने के बाद उन्होंने पीएम मोदी की नीतियों और विचारधारा से प्रभावित होकर कांग्रेस छोड़ दी और अगले दिन बीजेपी में शामिल हो गए।

निर्दलीय चुनाव जीतकर मंत्री बने

हर्षवर्धन पाटिल उन नेताओं में शुमार करते हैं जो कि लगातार four बार सरकार में मंत्री बने रहे हैं। वर्ष 1995 से 1999 तक शिवसेना-बीजेपी सरकार में मंत्री रहे तो बाद में 1999 से 2014 तक कांग्रेस-एनसीपी सरकार में मंत्री रहे हैं।

हर्षवर्धन पाटिल ने अपनी सियासी पारी का आगाज़ साल 1995 में हुआ था। वह पुणे की इंदापुर सीट से निर्दलीय विधायक चुने गए। इंदापुर सीट से four बार विधायक का चुनाव जीता। 1995, 1999 और 2004 तक निर्दलीय विधायक रहे जबकि 2009 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। जिसके बाद उन्हें महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार में सहकारिता मंत्री बनाया गया।साल 2014 में पहली बार मिला

वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में हर्षवर्धन पाटिल को हार का सामना करना पड़ा। वास्तव में इन चुनावों में कांग्रेस और एनसीपी की अलग-अलग संख्या थी। हर्षवर्धन पाटिल ये चुनाव एनसीपी के दत्तात्रेय भरणे से 14 हज़ार 173 वोट से हार गए थे। बारामती लोकसभा सीट के तहत आने वाली इंदापुर सीट पर उन्हें एनसीपी के उम्मीदवार से हार का सामना करना पड़ा।

राजनीतिक परिवार

हर्षवर्धन शाह पाटिल का जन्म 21 अगस्त 1963 को इंदापुर के बवारा में हुआ। वे पूर्व सांसद शंकर राव बाजीराव पाटील के भतीजे हैं। हर्षवर्धन पाटील की शादी भाग्यश्री से हुई। उनकी एक बेटी अंकिता और एक बेटा राजवर्धन है। उनकी बेटी अंकिता पुणे जिला परिषद की सदस्य हैं।

वर्ष 2014 की हार के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस में हर्षवर्धन पाटील पांच साल तक खमोशी से समय गुजराते रहे। अशोक चव्हाण के इस्तीफे के बाद उनके अध्यक्ष बनने की भी चर्चा थी, लेकिन बाला साहब थोराट को महाराष्ट्र कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। जिसके बाद फिर से 9 सितंबर को हर्षवर्धन पाटिल ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया और 11 सितंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गए। खुद सीएम फडणवीस ने हर्षवर्धन पाटिल के लिए कहा कि वे पांच साल से उनके बीजेपी में आने का इंतजार कर रहे थे।

हर्षवर्धन पाटिल का बीजेपी में शामिल होना कांग्रेस के लिए दूसरा बड़ा झटका था। हर्षवर्धन से पहले कांग्रेस के दूसरे सीनियर लीडर राधाकृष्ण विखे पाटिल ने लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस छोड़ दी थी और उन्हें फड़नवीस सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।

सम्मान का सवाल बन गया है इंदापुर सीट

एक बार फिर इंदापुर सीट से हर्षवर्धन पाटिल चुनावी मैदान में हैं। इंदापुर विधानसभा सीट पुणे जिले में आती है। वर्ष 2014 का चुनाव हारने के बाद वे जीतकर वापसी करना चाहेंगे। अबतक निरर्थक और कांग्रेस के टिकट पर वह 1995 से 2009 तक उड़ीपुर सीट पर लगातार जीतते रहे। ऐसे में इस बार विधानसभा चुनाव में सबकी निगाहें हर्षवर्धन पाटिल और इंदापुर सीट पर क्यों पहली बार वो बीजेपी के उम्मीदवार होंगे तो साथ ही सवाल इंदापुर सीट से जुड़े सम्मान का भी है जो साल 2014 में हार से आहत हुआ था।

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