स्कुलों और हॉस्टलों में किसी नेता के अनुशंसा पर प्रवेश क्यों मिले?

लोकतंत्र कहा है न महाराष्ट्र में है और न ही मध्यप्रदेश में थी, लोकतंत्र न तो राजस्थान में रही न छत्तीसगढ़ में है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के अपने-अपने मामले हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ में जिस परिपेक्ष्य को लेकर मैं बात कर रहा हूँ मसला गंभीर है लेकिन न तो सत्ता अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहता है और न ही विपक्ष ऐसे मुद्दे में समय खर्च करना चाहता है। सत्ता को भयंकर बीमारी है सत्ता में मद में चूर होने का और विपक्ष को बीमारी है बुनियादी मुद्दों से भटकने का। सरगुजा संभाग के मुख्यालय अम्बिकापुर में दो सरकारी स्कूल हैं जहां पर आज भी गरीब, निर्धन एवं मध्यम वर्ग के लोग अपने बच्चों को शिक्षा दिलाना चाहते हैं। लेकिन सरकार की सनक है कि इस ओर कोई ध्यान नहीं देना है, 15 सालों में भाजपा इस ओर कुछ खास नहीं कर पायी और वर्तमान सरकार के भरोसे भी नहीं रहा जा सकता है। स्कूल और गरीब-मध्यम वर्ग शायद राजनीति के डिक्सनरी से बाहर हैं।
किसी विधायक, किसी मंत्री, किसी सांसद, किसी महापौर, किसी जिला पंचायत अध्यक्ष, किसी जिला पंचायत उपाध्यक्ष, किसी जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, पार्षद के लिए इससे बड़ी शर्म की बात क्या होगी कि अम्बिकापुर एवं उसके आसपास में रहने वाले, बसने वाले आमजन जो कि गरीब, निर्धन, मध्यम वर्ग परिवार से हैं जो यहां के दो बड़े सरकारी स्कूल मल्टी परपज बहुउद्देश्यीय हायर सेकेंडरी स्कूल एवं शासकीय कन्या उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय में अपने बच्चों को प्रवेश दिलाना चाहता है लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं मिल पाता। बताया जाता है कक्षा लगाने के लिए भवन नहीं है, भवन जर्जर हो चुके हैं जिसके कारण कई भवनों को खाली कर दिया गया है और कक्षाओं को कम कर दिया गया है। यदि प्रवेश मिलता भी है तो नेताओं के अनुशंसा पर। किसी सरकारी स्कूल में प्रवेश के लिए किसी नेता की अनुशंसा लगे और उसके द्वारा अनुशंषित बच्चों को ही प्रवेश मिले, लोकतंत्र में किसी सरकार के लिए, किसी जनप्रतिनिधी के लिए इससे बड़ी शर्मनाक बात क्या हो सकती है।
जो सरकार जनता के लिए जनता के द्वारा जनता से बनी है, उसकी ही सुनवाई नहीं होती। खासकर मल्टी परपज बहुउद्देश्यीय हायर सेकेंडरी स्कूल एवं शासकीय कन्या उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालयों में तो सीधे तौर पर पूर्व के कक्षाओं में प्राप्तांक अथवा प्रवेश परीक्षा के जरिये एडमिशन मिलना चाहिए। किन्तु यह सब प्रक्रिया किनारे है और प्रवेश का जरिया नेताओं की अनुशंसा है चाहे वह सत्तासीन दल हो अथवा विपक्ष सबका कोटा बंट गया है, सबकी अनुशंषा से प्रवेश मिल जाता है। ऐसे में वे गरीब, निर्धन एवं मध्यम वर्ग के लोग कहां जायें, जिनकी न तो विधायक तक पहुंच है और न ही सांसद तक, न तो महापौर तक पहुंच है न ही पार्षद तक, न तो जिला पंचायत सदस्य तक पहुंच है न जनपद सदस्य तक। ऐसे में जब इन विद्यालयों में निर्धन, गरीब, मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों को प्रवेश नहीं मिलता तो वे दिल पर पत्थर रख कर अच्छी शिक्षा के भरोसे में निजी विद्यालयों में प्रवेश दिलाते हैं। दोनों ही सरकारी स्कूल हैं और दोनों ही स्कूलों में पढ़ाई के तरीके और शैक्षणिक व्यवस्था को लेकर लोगों में एक भरोसा है, जिससे यहां पर अपने बच्चों को प्रवेश दिलाना चाहते हैं।
सवाल यह है कि जिस जिले में डीएमएफ का बजट ठीक-ठाक स्थिति में है, कई-कई मंत्री और विधायक हैं वे क्या सरकार से 10-15 करोड़ मांग कर नहीं ला सकते, जिससे दोनों स्कूलों की स्थिति को सुधारा जा सके। हालांकि शहर विधायक इन स्कूलों पर नज़रें बनाये हुए हैं और समय-समय पर राशि भी जारी करते हैं, किन्तु जितना इन स्कूलों को सुधारने राशि चाहिए उसके मुकाबले विधायक मद ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। सरगुजा संभाग से ही शिक्षा मंत्री भी हैं लेकिन उन्हें भी इससे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है। उन्हें स्कूलों को सुधारने से कोई लेना देना नहीं है।

क्यों बच्चों को मिलता है नेताओं के अनुशंसा पर प्रवेश :-

चूंकि मल्टीपरपज बहुउद्देश्यीय हायर सेकेंडरी स्कूल एवं शासकीय कन्या उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय दोनों की ही स्कूलों के बिल्डिंग स्थिति काफी भयावह है, काफी पुराने स्कूल होने के कारण अच्छे कमरों की स्थिति काफी कम है जिसके कारण कक्षाओं के सेक्शन बढ़ाये नहीं जाते, जिसके कारण कम बच्चों को दोनों ही स्कूलों में प्रवेश मिलता है। ऐसे में जब प्रवेश लेने वालों की संख्या अधिक होती है, तब अधिकतर खाली सीटों पर पक्ष-विपक्ष के नेताओं के अनुशंसा पर प्रवेश मिलता है। जिससे काफी बच्चे जो कि गरीब, निर्धन एवं मध्यम परिवारों के जरूरतमंद होते हैं, उन्हें प्रवेश नहीं मिल पाता और थक-हार कर अभिभावकों को प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश दिलाना पड़ता है, जहां के भारी भरकम फीस के कारण अभिभावक परेशान होते हैं।

शासकीय ब्वाय एवं गर्ल्स हॉस्टलों में भी अभिभावकों को लगाना पड़ता है नेताओं का सोर्स :-

शासकीय ब्वाय एवं गर्ल्स हॉस्टलों की स्थिति भी इसी तरह का है, गांवों से प्रतिभाशाली बच्चे शहरों में पढ़ने आते हैं, ब्वॉय एवं गर्ल्स हॉस्टलों में भी सीटें कम है, जिसके कारण बच्चों को सीधे प्रवेश जल्दी नहीं मिल पाता। हर कोई अपने बच्चों के लिए सीट चाहता है ऐसे में पहुंच वाले लोग नेताओं से अनुशंसा एवं फोन कराने से भी पीछे नहीं हटते जिसके कारण यहां भी कई जरूरतमंदों को प्राइवेट हॉस्टलों का सहारा लेना पड़ता है।

क्या होनी चाहिए सरकारी स्कूलों एवं हॉस्टलों में प्रवेश की प्रक्रिया :-
सरकार को चाहिए कि प्रत्येक स्कूलों में प्रवेश के लिए स्पष्ट निर्देश जारी करे और प्रवेश परीक्षा अथवा पिछली कक्षा के प्राप्तांक के आधार पर प्रवेश मिले। इससे किसी के भी मन में नेतागिरी को लेकर किसी भी प्रकार का कोई संशय अथवा सवाल नहीं रहेगा। बच्चों के मन में भी राजनीति को लेकर गलत विचार नहीं जायेंगे।

लगभग 15 से 20 करोड़ में दोनों स्कूलों की व्यवस्था सुधर सकती है :-

मल्टी परपज बहुउद्देश्यीय हायर सेकेंडरी स्कूल एवं शासकीय कन्या उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय अम्बिकापुर दोनों ही जिले ही नहीं संभाग स्तर के प्रमुख शैक्षणिक केंद्र हैं, दोनों ही स्कूल काफी पुराने हैं। ऐसी स्थिति में उत्कृष्ट विद्यालयों की स्थापना में व्यस्त सरकार एवं सरकारी नुमाइंदों को चाहिए कि इन स्कूलों में जहां से लोगों को काफी उम्मीदें हैं, जहां की पढ़ाई व्यवस्था के लोग संतुष्ट होते हैं, वहां की व्यवस्था सुधारने पहल करें। 15 से 20 करोड़ में दोनों ही स्कूल इस स्थिति में आ जाएंगे कि कक्षाओं का संचालन भी बढ़ेगा और प्रवेश भी अधिक मिलेगी, प्राइवेट स्कूलों को भी मात देंगे।

जब अच्छी सड़क, अच्छी हॉस्पिटल के लिए धरना और चक्काजाम तो अच्छी स्कूल के लिए क्यों नहीं :-

अच्छी सड़कों, अच्छी हॉस्पिटलों, बिजली के लिए कई प्रदर्शन होते हैं, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठा जाता है, चक्का जाम किया जाता है, फिर अच्छे स्कूल के लिए विरोध, प्रदर्शन, मांग क्यों नहीं होता। क्या शिक्षा व्यवस्था को सुधारना कोई नहीं चाहता। हम अच्छे उत्कृष्ट विद्यालय खोलने को लेकर काफी संतुष्ट नजर आ रहे हैं और जो स्कुलें पहले से हमारी शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ रही हैं, उन्हें भुलाते ज रहे हैं, उन्हें बर्बाद करने पर आमादा है।

अंतर्द्वंद्व

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *