सीबीएसई 12वीं की सुधार परीक्षा के अंक अंतिम नहीं विद्यार्थियों को राहत : सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड की शर्त खारिज की, कहा- बेहतर प्रदर्शन वाले अंक को चुनने का देना होगा विकल्प

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 12वीं बोर्ड में अंक सुधार परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को बड़ी राहत दी है। सुधार परीक्षा में प्राप्त अंक अब अंतिम नहीं माने जाएंगे। शीर्ष कोर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की मूल्यांकन नीति की इस शर्त को खारिज कर दिया।

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा, सीबीएसई को पिछले साल के परीक्षा परिणाम तैयार करने में विद्यार्थियों को मूल परीक्षा और अंक सुधार परीक्षा, दोनों में से बेहतर प्रदर्शन वाले अंक को चुनने का विकल्प देना होगा। पिछले साल जून में सीबीएसई की नीति में कहा गया था, सुधारात्मक परीक्षा के नतीजे ही अंतिम होंगे, मूल परीक्षा के नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में बोर्ड को इस नीति पर पुनर्विचार के निर्देश दिए थे।

पीठ ने कहा था, दाखिले होंगे प्रभावित

पीठ ने पिछली सुनवाई में कहा था, छात्र सिर्फ अपने मूल अंक बनाए रखने की मांग कर रहे हैं। यदि सुधारात्मक परीक्षा में कम अंकों पर विचार किया जाता है, तो उनके दाखिले प्रभावित होंगे। शुक्रवार को सीबीएसई के वकील रूपेश कुमार ने बताया, चूंकि छात्रों ने सुधारात्मक परीक्षा का विकल्प चुना था, इसलिए परिणाम को अंतिम माना जाएगा।

सवाल… आपको क्या फर्क पड़ा

पीठ ने 11 छात्रों की याचिका का निपटारा करते हुए कहा, कोरोना के चुनौतीपूर्ण हालात में बदली हुई नीति की जरूरत है। यही विद्यार्थियों के हित में भी है। सीबीएसई ने कहा, मूल्यांकन अंक सुधार परीक्षा के आधार पर किया गया है। इस पर पीठ ने कहा, इससे आपको क्या फर्क पड़ता है ? औचित्य बताइए।

डिजिलॉकर में मौजूद डिग्री व अंकपत्र वैध : यूजीसी

यूजीसी ने कहा है, डिजिलॉकर में उपलब्ध डिग्री, अंकपत्र और अन्य दस्तावेज वैध हैं। इसलिए शिक्षण संस्थान डिजिलॉकर के दस्तावेज स्वीकार करें। यूजीसी के सचिव प्रो रजनीश जैन ने छात्रों की शिकायत पर सभी राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। दरअसल, कुछ संस्थान डिजिलॉकर के दस्तावेजों को मान्यता नहीं दे रहे थे। डिजिटल लॉकर में स्कूल से कॉलेज व विश्वविद्यालयों के सभी दस्तावेज अपलोड किए जा सकते हैं।

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