सरकार शराब बनाती है…बेचती है…तो बैठ कर पीने की व्यवस्था भी करे नशा मुक्ति कार्यक्रम, नवा बिहान को सफल बनाने सामाजिक संस्थाओं की बैठक


अंबिकापुर। सरगुजा में कार्यरत सामाजिक संस्थाओं की बैठक शहर के ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में रखी गई, जिसमें सरगुजा पुलिस द्वारा नशा मुक्ति के लिए चलाए जा रहे नवा बिहान अभियान, सामाजिक संस्थाओं की एकजुटता, शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर गठित समितियों में सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका सहित संस्थाओं में समय के साथ नए बदलाव करते हुए कैसे नए कार्यों एवं समस्याओं के प्रति तैयार किया जाए, इस पर चर्चा की गई। कार्यक्रम के प्रारंभ में जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विवेक शुक्ला ने पुलिस विभाग एवं एनजीओ के सहयोग से चलाए जा रहे नशा मुक्ति, नवा बिहान कार्यक्रम की जानकारी दी और नशा मुक्ति के लिए निचले स्तर से कार्य सामाजिक भागीदारी से करने की आवश्यकता महसूस की। वहीं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नशा मुक्ति के लिए किए जा रहे प्रयासों के बीच कुछ कटु बातों को सामने रखकर सरकार और प्रशासन को आईना दिखाने का काम किया, जिसके आगे अभियान के कारगर होने को लेकर सवाल खड़े किए।
समाजसेवी वंदना दत्ता ने अंबिकापुर के कई ऐसे क्षेत्रों की जानकारी साझा की, जहां नशा के बाद मुहल्ले की स्थिति खराब हो जाती है। कंपनी बाज़ार, गाड़ाघाट सहित अन्य स्थलों पर उन्होंने लगातार पेट्रोलिंग बढ़ाने पर जोर दिया। धरोहर संस्था के सुरेंद्र तिवारी ने पान ठेलों के पीछे बने ओपन एरिया को खाली कराने और वहां सिगरेट, शराब सहित अन्य नशीले पदार्थ के बढ़ते मामलों सहित पीजी कॉलेज में शाम होते ही नशा करते लोगों पर लगाम लगाने आवश्यक कार्रवाई की बात कही। उन्होंने ग्राऊंड के चारों ओर लाईटिंग की व्यवस्था पर जोर दिया। राइड संस्था के अनिल द्विवेदी ने कहा सरकार शराब बनाती भी है, बेचती भी है फिर बैठ कर पीने की व्यवस्था भी करे, ताकि मुहल्लों में जो स्थिति निर्मित होती है उस पर लगाम लग सके। सामाजिक कार्यकर्ता अभय नारायण पांडेय ने कहा कि नियमित नशा करने वालों की स्थिति काफी खराब है, उनसे समाजिक संस्थाओं के लोग अकेले नहीं निपट सकते, वे वहां जाकर फंस सकते हैं। पुलिस, प्रशासन एवं सामाजिक संस्थाओं की संयुक्त टीम कार्रवाई करे तो बेहतर परिणाम आ सकते हैं।
राणा प्रताप सिंह सचिव नव युवा जागरण प्रतिष्ठान ने कहा सरकार से बहुत सहयोग की अपेक्षा न करें। हमने कभी सोचा नहीं था कि एक दिन सरकार एनजीओ को ठेकेदारी के मोड में ले आएगी। आज वे ठेकेदारों की तरह सामाजिक कार्य के लिए टेंडर भरते हैं। टेंडर भरकर, पैसा देकर काम करने के कारण मूल्यों का ह्रास हो रहा है। उन्होंने गंगापुर एवं गाड़ा घाट क्षेत्र में रोज बनती अप्रिय स्थिति को लेकर कहा सरकार जब स्वयं शराब बेच रही है, तो नशामुक्ति हेतु वाजिब काम कर पाना बड़ी चुनौती है। उमाशंकर पांडेय ने प्रशासन एवं समाज के बीच के गैप को भरने के लिए प्रशासन को पॉलिसी स्तर पर कार्य करने की बात कही। साईं कॉलेज की प्रोफेसर किरण श्रीवास्तव ने नवा बिहान अभियान को सफल बनाने यूथ एवं पैरेंट्स की काउंसलिंग को जरूरी बताया। गायत्री परिवार की सरस्वती तिवारी एवं अमृता ने स्कूल एवं घर के वातावरण को ऐसा बनाने कहा, जिससे सामाजिक बदलाव की नींव रखी जाए। राजेश ठाकुर ने अलग-अलग वैरायटी के मिल रहे ड्रग्स व छोटे स्ट्रीट चाइल्ड के नशा में फंसने को लेकर चर्चा की। रुखसाना बेगम ने वार्ड लेबल पर नशा विरोधी टीम बनाकर कार्य करने की वकालत की। ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की संचालिका विद्या बहन ने कहा पहले हमें स्वयं को बदलने, पॉजिटिव सोचने की आवश्यकता है। यातायात विभाग के प्रमुख जयराम चारमाको ने बताए गए स्थलों पर पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाने की दिशा में काम करने और उच्च अधिकारियों को इससे अवगत कराने कहा। आदित्य पिंटू गुप्ता आदिवासी जनजाति विकास समिति ने कहा कि सामाजिक संगठनों को एक मंच पर आकर सामाजिक बदलाव में सहभागिता सुनिश्चित करना होगा। कार्यक्रम का संचालन चिराग सोशल वेलफेयर सोसायटी के निदेशक मंगल पांडेय एवं अनिल कुमार मिश्रा मुख्य कार्यकारी छत्तीसगढ़ प्रचार एवं विकास संस्थान ने की।
कैसे मान लें सरकार, प्रशासन व पुलिस नशा मुक्ति के लिए प्रतिबद्ध-अंचल
सरगुजा साइंस ग्रुप के अंचल ओझा ने कहा नशा मुक्ति और नवा बिहान अभियान की सफलता इस बात पर निर्भर है कि पहले प्रशासन और पुलिस आमजनों की सुनने की आदत डालें। उनकी समस्या का निपटारा करें, गंगापुर शराब दुकान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कई सालों से लोग वहां से शराब दुकान हटाने की मांग कर रहे हैं। मुहल्ले के साथ वहां रोजगार कार्यालय है, यहां आने वालों को दिक्कत होती है, किंतु प्रशासन सुनना नहीं चाहता, फिर कैसे मान लें सरकार, प्रशासन और पुलिस नशा मुक्ति के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा पुलिस विभाग में समाज के बीच कार्य करने हेतु पॉलिसी स्तर पर बदलाव, शिकायत की गोपनीयता बनाकर रखने की जरूरत है।

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