विशेषज्ञ बोले, बार- बार स्वरूप नहीं बदलता मंकीपॉक्स, लेकिन निगरानी जरूरी – मंकीपॉक्स से घबराने की जरूरत नहीं, कोरोना की तरह नहीं फैलता

देश में मंकीपॉक्स संक्रमण का चौथा मामला सामने आने के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि इस संक्रमण से लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह तेजी से नहीं फैलता। हालांकि इसकी कड़ी निगरानी बहुत जरूरी है । एक दिन पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) मंकीपॉक्स को वैश्विक महामारी घोषित किया है। रविवार को पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव ने कहा कि मंकीपॉक्स वायरस एक डीएनए वायरस है जो बार बार अपना स्वरुप नहीं बदलता है। कोरोना वायरस आरएनए आधारित है इसलिए वह बार बार अपना स्वरूप बदलता है। मंकीपॉक्स वायरस में दो जेनेटिक क्लैड हैं लेकिन इससे लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। बीते कुछ दिन में जितनी तेजी से संक्रमण बढ़ा है उसे लेकर चिंता की स्थिति जरूर है लेकिन कड़ी निगरानी के जरिए इस स्थिति से लड़ा जा सकता है। इसमें आम लोगों को पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है।

और मामले आ सकते हैं सामने

डॉ. प्रज्ञा ने कहा, हो सकता है अगले कुछ दिन में और भी मामले सामने आएं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ये कोरोना की तरह तेजी से फैलता चला जाएगा। अच्छी बात यह है कि सभी मामले समय रहते पता चल रहे हैं और निगरानी में भी है।

वायरस नया नहीं : महामारी विशेषज्ञ डॉ चंद्रकांत लहरिया ने कहा,
‘मंकीपॉक्स नया वायरस नहीं है। यह पांच दशक से मौजूद है। हालांकि इस बार ये अपने सीमित क्षेत्र से बाहर आकर दूसरे देशों तक पहुंचा है। ज्यादातर मामलों में इसका हल्का असर देखने को मिल रहा है।’ उन्होंने कहा कि कोरोना के प्रसार की क्षमता अधिक थी। मंकीपॉक्स एक से दूसरे तक पहुंचने में काफी नजदीकी होना जरूरी है। अभी तक मंकीपॉक्स से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है।

कम संक्रामक है बीमारी : इनके अलावा राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा है कि यह बीमारी कम संक्रामक है और शायद ही कभी घातक होती है लेकिन इम्युनो कॉम्प्रोमाइज वाले रोगियों को सावधान रहने की जरूरत है।

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