वरिष्ठ साहित्यकार रामप्यारे रसिक व बंशीधर लाल हुए सम्मानित, छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति एवं राजभाषा विभाग द्वारा दिया गया सम्मान

अंबिकापुर। रामकथा के प्रचार प्रसार के लिए संकल्पित छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति एवं राजभाषा विभाग द्वारा राज्य स्तरीय रामायण प्रतियोगिता के समापन अवसर पर 29 मई को सरगुजा के वरिष्ठ साहित्यकार रामप्यारे रसिक को उनकी सरगुजिहा में लिखी गई पुस्तक सरगुजिहा रामायण के लिए सम्मानित किया गया। यह सम्मान रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में रामप्यारे रसिक की ओर से उनके पुत्र प्रकाश कुमार कश्यप ने खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत के कर-कमलों से ग्रहण किया।सरगुजिहा रामायण की रचना रामप्यारे रसिक द्वारा सन 1976 में की गई है, जिसमें रामायण के विविध प्रसंगों को सरगुजिहा बोली में रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। सरगुजा के ग्रमीण मानस मण्डली में गाए जाने वाले सरगुजिहा रामायण को आकाशवाणी अंबिकापुर द्वारा धारावाहिक के रूप में प्रसारित करने के साथ ही सरगुजा के संगीतकारों ने ऑडियो कैसेट तैयार कर प्रचारित किया है। साथ ही इस अवसर पर सरगुजा के साहित्यकार बंशीधर लाल को उनकी कृति राम हनुमान गोठ संगे हनुमान पचासा के लिए छत्तीसगढ़ राजभाषा की ओर सम्मानित किया गया। इस उपलब्धि पर विभिन्न साहित्यिक समितियों द्वारा उक्त रचनाकारों को बधाई दी गई।

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