राजीव भवन में शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा, दो पत्रों ने बढ़ाया राजनैतिक तापमान

अम्बिकापुर/अम्बिकापुर के जिला कांग्रेस कार्यालय अर्थात राजीव भवन में आये दिन हो रहे उठापटक को लेकर मीडिया को 14 नवम्बर को दिये बयान में जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने इस तरह के कार्य को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था, की भाजपाइयों से मिले हुए कुछ लोग कांग्रेस के कार्यक्रमों में बाधा डालते हैं और हमारी पार्टी इनके इन कार्यों का एकजुटता से विरोध करेगी। इसके बाद आज 15 नवम्बर को भाजपा के पार्षद आलोक दुबे ने एक पत्र लिख कर कलेक्टर और एसपी से राजीव भवन कांग्रेस कार्यालय को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित करने की मांग की है। उन्होंने पत्र में कई तरह के आरोप लगाये हैं और पुराने कई मामलों में आरोपी रहे लोगों का कार्यालय में जमावड़ा होने सम्बंधित कई बातों का उल्लेख किया है, साथ ही उन्होंने कहा है कि जिस तरह से कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता आरोप लगा रहे हैं, उससे लाजमी है कि आने वाले समय में कोई गंभीर घटना न घटित हो जाये, किसी की हत्या न हो जाये और आरोप भाजपा पर लग जाये, ऐसे बातों का उल्लेख्य करते हुए भाजपा से पार्षद आलोक दुबे ने कलेक्टर एवं एसपी सरगुजा को पत्र लिखा है। भाजपा से वर्तमान में पार्षद आलोक दुबे एवं इनका परिवार काफी समय से कांग्रेस से जुड़ा हुआ है, इनके परिवार के लोग कांग्रेस संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं, स्वयं आलोक दुबे ने जब पार्टी छोड़ी जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष के पद पर थे। नगर निगम चुनाव में अम्बिकापुर से पहली बार कांग्रेस को मिली जीत और इस जीत के बाद मेयर काउंसिल के गठन में सीनियर पार्षद होने के बावजूद उन्हें जगह न मिलने के बाद से ही वे संगठन में भी प्रदेश स्तर के पद को लेकर प्रयासरत रहे, वहीं कई पदों के लिए दावेदारी भी की थी, किन्तु जब पार्टी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो आलोक दुबे ने भाजपा ज्वाईन कर ली, वर्तमान में वे भाजपा से पार्षद हैं।
वहीं एक दूसरा पत्र इरफान सिद्दीकी ने भी जारी किया और जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता पर पार्टी के संविधान को नहीं मानने तक का आरोप लगा दिया। उन्होंने कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं को पत्र लिख कर कार्यवाही की मांग की है, राजीव भवन में घटित पूरी घटना के केंद्र बिंदु इरफान सिद्दीकी ही थे, जहां से विवाद शुरू हुई, हालांकि पत्रकारों के सवाल पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि वे कौन लोग हैं जो कार्यक्रम कर रहे हैं और यहां जबरन आना चाहते थे, उन्हें वे नहीं पहचानते संगठन की बात है और संगठन के बैठक में वरिष्ठों के बीच निर्णय लिया जायेगा, किस पर क्या कार्यवाही होगी। इसके उलट यदि बात करें तो कांग्रेस में हाल फिफिलहाल मेंइरफान सिद्दीकी की इंट्री पिछले नगरीय निकाय चुनाव से मानी जाती है, जहां उन्होंने वार्ड पार्षद के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में समर्थन देते हुए अपना नाम वापस लिया और फिर कांग्रेस के कार्यक्रमों में इनके आने जाने का क्रम शुरू हुआ। जो लगातार चलता रहा, अमरजीत भगत के मंत्री बनने के बाद वे उस इस पाले से उस पाले में चले गये और उस ओर से इतना एक्टिव हुए की लगातार उनको लेकर कांग्रेस संगठन में विवाद गहराते रहा है। एक ओर इरफान सिद्दीकी अपने जुगाड़ तंत्र का उपयोग कर जहां कांग्रेस के एक अनुषांगिक संगठन में पदाधिकारी भी बन गये, तो दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के एक पत्र ने ऐसे जुगाड़ तंत्र से पद पर बैठे नेताओं की नियुक्ति को ही शून्य कर दिया, लेकिन इरफान हैं कि इसे स्वीकार ही नहीं करना चाहते, जिसके कारण लगातार वे सरगुजा कांग्रेस के विवाद के केंद्र बिंदु बने हुए हैं। हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कई बार सार्वजिनक रूप से कहा है, इन्हें कांग्रेस में प्रवेश नहीं दिया गया है। इसके बावजूद इरफान कांग्रेस में जबरन बने रहना चाहते हैं। यदि इरफान नहीं मान रहे तो कम से कम कांग्रेस को ही आगे आकर अनाधिकृत रूप से अपने कांग्रेस कार्यालय में उनके प्रवेश को रोकने आवश्यक कदम उठाना चाहिए, यूँ बार-बार के विवाद से शहर का माहौल भी खराब हो रहा है और पुलिस और प्रशासन भी हर बार परेशान होती है।

खैर अब देखना यह है कि भाजपा से पार्षद आलोक दुबे एवं कांग्रेस से बाहर इरफान सिद्दीकी के द्वारा लिखे गये पत्र से कुछ हो भी पाता है या फिर यूँ ही पत्र लिख कर दोनों नेता मीडिया में बने रहना चाहते हैं।

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