मैनपाट में स्थानीय कांग्रेसीयों की उपेक्षा, बैठ गए जमीन पर किया प्रशासन का विरोध, मनाने पहुंचे खाद्य मंत्री

मैनपाट/छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से विख्यात मैनपाट में हर वर्ष मैनपाट महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसका उद्देश्य है यहां के पर्यटन को बढ़ावा देना और ज्यादा से ज्यादा सैलानियों को यहां आकर्षित करना। लेकिन इन आयोजनों में लगातार स्थानीय लोगों की उपेक्षा होती रही है। आमजन नहीं बल्कि यहां के जनप्रतिनिधियों की भी प्रशासन लगातार उपेक्षा करता रहा है। यहां के आयोजनों में यहां के स्थानीय लोगों की भूमिका नगण्य एवं बाहरी लोगों की काफी अधिक होती है, जिसको लेकर हमेशा मैनपाट के लोग नाराज दिखते हैं। ऐसे ही मैनपाट महोत्सव का आयोजन 11 से 13 मार्च तक मैनपाट में इन दिनों चल रहा है। इस आयोजन में भी जम कर जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा हो रही है। स्थानीय जनपद सदस्य, जनपद उपाध्यक्ष, राज्य के प्रमुख पार्टियों के स्थानीय नेताओं, सरपंचों, पंचों को दरकिनार कर बाहर के लोगों को तरजीह दी जा रही है।

जिससे स्थानीय जनप्रतिनिधि काफी नाराज हैं, इसी बात को लेकर आज समापन कार्यक्रम के पूर्व यहाँ के स्थानीय जनप्रतिनिधियों, विधायक प्रतिनिधि एवं जनपद सदस्यों ने आयोजन स्थल के प्रवेश गेट के पास जमीन पर बैठ कर इसका विरोध किया और कहा कि यहां आयोजन न करें, इस आयोजन को रायपुर, बिलासपुर या कहीं और ले जायें, हम सब अब इस आयोजन से त्रस्त हो गए हैं, अब स्थानीय लोगों की उपेक्षा नहीं सहेंगे। प्रदेश के खाद्य मंत्री एवं स्थानीय विधायक अमरजीत भगत के विधायक प्रतिनिधी गणेश यादव भी जमीन पर बैठ कर उपेक्षा का आरोप लगा रहे थे, उन्होंने मिडिया से बात करते हुए कहा कि अब थक गये हैं, यदि ऐसा ही चलता रहा तो अगली बार आयोजन ही नहीं होने देंगे।


सरगुजा जिले के आयोजित मैनपाट महोत्सव में राज्य की सत्ता में आसीन कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों के बैठने का स्थान सुनिश्चित नही होने से स्थानीय जनप्रतिनिधि व विधायक प्रतिनिधि मैनपाट महोत्सव के मेन गेट के सामने जमीन पर ही बैठ गये। दरसअल मैनपाट कार्निवाल महोत्सव का आयोजन हर साल जिला प्रशासन के द्वारा किया जाता है। लेकिन इस बार जिला प्रशासन की अव्यवस्थाओं का नजारा शुरू से ही देखने को मिला है, जहां स्थानीय कांग्रेसी जनप्रतिनिधियों को बैठने का मौका नहीं मिला। वहीं इस बार के आयोजन में भीड़ काफी कम रही, देश के लोकप्रिय कवि कुमार विश्वास को सुनने तक लोग नहीं पहुंचे। बताया जा रहा है कि पिछले आयोजन में भोजपुरी गायक खेसारी लाल यादव के कार्यक्रम के दौरान पुलिस द्वारा की गई लाठी चार्ज से स्थानीय लोग अब भी नाराज हैं, इसलिए उन्होेंने कार्यक्रम से दूरी बना रखी है, जिसके कारण आयोजन में भीड़ इस वर्ष नहीं है।

अपने ही स्थानीय लोगों के जमीन पर बैठ जाने की बात सुनते ही क्षेत्रीय विधायक व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत तत्काल मौके पर पहुंचे और कार्यकर्ताओं को मनाने की कोशिश कि इधर कार्यकर्ताओं ने कहा कि जिला प्रशासन की लापरवाही की वजह से हमें उपेक्षित किया गया है। अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में मैनपाट में कार्निवाल नहीं होने दिया जाएगा। इधर मैनपाट महोत्सव को देखने पहुंचे प्रभारी मंत्री शिव कुमार डहरिया ने कांग्रेस की गुटबाजी को नकारते हुए कहा कि किसी भी तरीके से किसी को नाराज नहीं किया गया है। सबकी सुनी जा रही है, यदि कोई नाराज़गी होगी तो आपस में मिल बैठ कर सुलझा ली जायेगी।


वही जिला प्रशासन के द्वारा व्यवस्थाओं को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। लेकिन अब तो सरकार में रहने के बाद भी कांग्रेस पार्टी के लोगों की ही उपेक्षित हो रही है, तो इससे समझा जा सकता है कि किस तरह से कांग्रेस पार्टी में अंतरकलह हावी है और प्रशासन की तैयारी कैसी है?  मैनापाट महोत्सव के आयोजन के शुरुआती समय से ही प्रशासन को लेकर तरह-तरह की बात सामने आती रही है, आयोजन हेतु कैसे फंड एकत्र करने को लेकर भी शहर में काफी चर्चा रही है। वहीं एक फोटो यह भी देखिये इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे बैठने की व्यवस्था है, एक सोफे पर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के साथ तीन लोग किसी तरह से एडजस्ट कर रहे हैं, भला हो गो सेवा आयोग के सदस्य अटल यादव जी का जो प्रशासन की नाइन्तजामी से नाराज होकर मंत्री जी के गोद में नहीं बैठे, बगल वाले किसी के गोद में एडजस्ट हो गये। अन्यथा यदि मंत्री जी की गोद में बैठते तो मंत्री जी की काफी किरकिरी हो जाती। 

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