संगमनेर सीट से 7 बार से लगातार विधायक हैं बालासाहेब थोराट
बाला साहब थोराट को दुखी सहकारी आंदोलन में उनके योगदान से पहचान मिली। उन्होंने सहकारिता आंदोलन की नींव रखी और दुग्ध सहकारिता के संस्थापक माने जाते हैं
- Information18Hindi
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19 अक्टूबर, 2019, 2:32 PM IST
क्लीनसुथरी छवि वाले बालासाहब थोराट को कांग्रेस का पुराना विश्वासपात्र और गांधी परिवार का करीबी माना जाता है। वे महाराष्ट्र में विलासराव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे, अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण में मंत्री बने हुए हैं। इस दौरान उन्होंने कृषि, शिक्षा और राजस्व जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले हैं।
बालासाहब भाऊसाहेब थोराट का जन्म 7 फरवरी 1953 को हुआ। महाराष्ट्र में किसानों के अधिकारों को आंदोलन की शक्ल देने वाल वाल साहब थोराट एक बूम-तर्रार कोंग्रेसी नेता हैं।
संगमनेर सीट से बालासाहब थोराट ने 1985 से लेकर अबतक कोई चुनाव नहीं हारा है। 1985 में बालासाहब थोराट निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में खड़े हुए थे और विजयी हुए थे। उसके बाद 1990,1995,1999,2004,2009 और 2014 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर लगातार जीत मिली। कांग्रेस के टिकट पर लगातार 6 बार विधायक रहकर बालासाहब थोराट ने अपनी योग्यता और कर्मठता को साबित किया है। यही कारण है कि पार्टी आलाकमान को बालासाहब थोराट में राज्य कांग्रेस का भविष्य सुरक्षित दिखा रहा है ।बालासाहब थोराट को दुखी सहकारी आंदोलन में उनके योगदान से पहचान मिली। उन्होंने सहकारिता आंदोलन की नींव रखी और दुग्ध सहकारिता के संस्थापक माने जाते हैं। दुग्ध सहकारिता की वजह से दुखी उत्पादक किसानों को फायदा हुआ।
मराठवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम डॉ भीम राव आंबेडकर के नाम पर रखने के आंदोलन में भी भाग लिया। 6 साल से लेकर 14 साल तक के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा देने का कदम उठाया।
पेशे से वकील रहे बालासाहब थोराट ने सूखाग्रस्त अहमदनगर में जल आंदोलन छेड़ा। उन्होंने जल संरक्षण पर भी जोर दिया। मराठवाड़ा और विदर्भ के लिए विशेष सिंचाई मिशन शुरू किया।
बाला साहब थोराट संगमनेर के राज्य को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष रहे। अपने क्षेत्र में उन्होंने सहकारी शिक्षण संस्थान का निर्माण कराया।
बाला साहब थोराट ने राज्य सरकार के कई मंत्रालय संभाले। महाराष्ट्र सरकार में उन कृषि और राजस्व मंत्री भी हैं। बतौर कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य की किसानों की जरूरतों के लिए तमाम योजनाओं की शुरुआत की। उन्होंने महाराष्ट्र में किसानों के उत्थान के लिए कृषि विश्वविद्यालयों को जरिया बनाया और तमाम कृषि योजनाओं को किसानों के घर-घर पहुंचाने का काम किया। खेती की मिट्टी की जांच से लेकर व्हानी के आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों पर जोर दिया गया। ऑनलाइन ही कृषि सूचनाओं की ऑफ़लाइन उपलब्धता तो किसानों को कृषि कार्ड का वितरण भी किया जाता है। उनके कार्यकाल में महाराष्ट्र में ऐतिहासिक कृषि उत्पादन का दावा किया जाता है।