भूकंप के तेज झटकों से डोली धरती, घर व कार्यालय से बाहर भागे लोग मौसम विज्ञानी व भूगोल शास्त्री ने सैनिक स्कूल के पास बताया भूकंप का केंद्र


अंबिकापुर। शुक्रवार की सुबह उत्तर छत्तीसगढ़ में 10.28 बजे से 10.30 बजे के बीच भूकंप के दो झटके महसूस किए गए। भूकंप का झटका करीब सात से आठ सेंकेंड तक महसूस किया गया। इस बीच घरों की छतें व सीट हिलने लगी। सरगुजा जिले के अलावा सूरजपुर जिले में भी भूकंप का झटका लोगों ने महसूस किया। भूकंप का पहला झटका ऐसा था कि लोग डर से अपने घर, कार्यालय से बाहर भागने लगे। सरगुजा व सूरजपुर जिले में स्कूलों की छुट्टी कर दी गई। मौसम विज्ञानी व भूगोल शास्त्री का कहना है कि भूकंप का केंद्र सैनिक स्कूल के पास सोनपुरकला था। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.9 आंकी गई है, जबकि गहराई 10 किलोमीटर बताई जा रही है।
शुक्रवार की सुबह जब लोग घर में अपने काम में व्यस्त थे, इस दौरान अचानक तेज आवाज के साथ धरती डोलने लगी। घरों की छतें, सीट, पंखे, व कुसी-टेबल हिलने लगे। करीब 10.28 बजे भूकंप के झटके सात से आठ सेकेंड महसूस किए गए, कुछ देर बाद पुन: धरती के हिलने का एहसास हुआ। इसे देखते हुए लोग अपने-अपने घर से बाहर निकल आए। इसके बाद भूकंप की चर्चा होने लगी। अस्पताल, बैंक, कलेक्टोरेट, नगर निगम सहित अन्य कार्यालयों में अफरातफरी की स्थिति बन गई और अधिकारी-कर्मचारी डर से बाहर निकल गए। भूकंप के झटके महसूस होते ही स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को बाहर निकाला गया। इसके बाद स्कूल प्रशासन द्वारा बच्चों की छुट्टी कर दी गई। भूकंप का केंद्र बिंदु विशेषज्ञों के बीच चर्चा का विषय बना रहा। मौसम विज्ञानी एएम भट्ट ने भूकंप वेधशाला की पुष्टि के बाद बताया कि भूकंप का वास्तविक केंद्र अंबिकापुर नगर के पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में सैनिक स्कूल के पास सोनपुर कला था। भूकंप की तीव्रता 3.9 रिक्टर और गहराई 10 किलोमीटर थी। क्रमिक अंतराल में सात सेकंड के अंदर दो से 3 भूकंपीय झटकों के महसूस होने की पुष्टि स्थानीय लोगों ने की है। वहीं सरगुजा संभाग के अंबिकापुर के अलावा बलरामपुर व सूरजपुर जिले में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। विशेषज्ञों के अनुसार एक साल के अंदर सरगुजा संभाग के अलग-अलग क्षेत्रों में अब तक 5 बार भूकंप के झटके आ चुके हैं।
भूगोल शास्त्री डॉ.अनिल सिन्हा का कहना है कि प्राकृतिक भूकंप भू-गर्भ में होने वाले असंतुलन का परिणाम होता है। भू-गर्भ में उत्पन्न होने वाले ऊर्जा का किसी न किसी रूप में उत्सर्जन होता है। यह क्रिया भू-गर्भिक प्लेटों के टकराने से या प्लेटों के एक दूसरे के विपरीत दिशा जाने में होती है। इस तरह भू-गर्भ का गतिशील होना भूकंप का प्रमुख कारण माना जाता है। वर्तमान वैज्ञानिक भू-गर्भिक अनुसंधानों से यह प्रकाश में आया है कोई भी भूकंप यदि उसका जन्म 10 किलोमीटर की गहराई पर हुआ है, तो भूपटल पर विनाशकारी होता है। चार से पांच मेग्नीट्यूड का भूकंप का प्रभाव बहुत अधिक क्षति के रूप में नहीं होता किंतु मानव को पूरी तरह से बेचैन कर देता है, क्योंकि तरंगें बहुत तेजी से मकानों को प्रभावित करती है। लटोरी और भटगांव क्षेत्र बहुत पुराने कोयला उत्खनन के केंद्र हैं। लगातार यहां से कोयले का उत्खनन किया जा रहा है। पृथ्वी के संतुलन का सिद्धांत कहता है कि कोल उत्खनन से जो भूमि खाली होती है इससे धरातल का संतुलन बिगड़ता है और संतुलन बनाने के लिए भूगर्भिक क्रियाएं भी होने लगती है। गुरुवार का भूकंप कुछ इसी तरह का संकेत देता है। सरगुजा संभाग के मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों में लगातार भूकंप की आवृत्ति से यह प्रमाणित हो रहा है कि दृढ़ भूखंडों के क्षेत्र में भी अब भूकंप की आवृत्ति बढ़ रही है।
सरगुजा संभाग में वर्ष 2022 में भूकंप की घटनाएं
11 जुलाई-कोरिया जिला बैकुंठपुर 4.3 रिक्टर, 8.10 बजे सुबह
29 जुलाई-कोरिया जिला बैकुंठपुर 4.6 रिक्टर 12.58 बजे रात
04 अगस्त-सूरजपुर जिला गंगोटी क्षेत्र 3.0 रिक्टर 11.57 बजे दिन
14 अक्टूबर कोरिया जिला 4.8 रिक्टर 5.28 बजे
नोट-एक नवंबर को इसी बेल्ट में जबलपुर में भी धरती हिली थी, प्रात: 8.44 बजे, 3.9 रिक्टर
प्रतापपुर व भटगांव में भी भूकंप के झटके
प्रतापपुर व भटगांव में भी 10:28 पर भूकंप के हल्के झटके महसूस हुए, इसके बाद लोग घरों से बाहर निकल गए। तीव्र गति से दरवाजे, खिड़कियां सहित पंखे लगे हिलने लगे। भूकंप की अनुमानित तीव्रता 5.0 आंकी गई। सूरजपुर के भटगांव से 11 किलोमीटर की दूरी पर इसका केंद्र बताया गया है। भूकंप के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ललित पटेल ने सूरजपुर जिले के सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश जारी किया। वहीं प्रतापपुर विकासखंड के कई जगह स्कूलों में दरार पडऩे की सूचना मिली है। ग्राम पंचायत गोटगवां के मिडिल स्कूल के दीवार में दरार होने के बाद स्कूल के बच्चे डर से बाहर निकल गए, इसके बाद शिक्षकों ने बच्चों की छुट्टी कर दी।

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