छुट्टी का प्रावधान नहीं…24 घंटे ड्यूटी करने के बाद डेढ़ माह से भटक रहे कर्मचारी, आदिम जाति कल्याण विभाग संघ के बैनर तले कर्मचारियों ने हल्ला बोला


सरगुजा कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर दिला रहे वायदों की याद
अंबिकापुर। आदिम जाति कल्याण विभाग कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़ ने स्वीकृत पदों के विरूद्ध कार्यरत सभी कर्मचारियों विभिन्न मांगों को लेकर संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में रैली निकाल कर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा किए गए वायदे की याद दिलाने कलेक्टर सरगुजा को ज्ञापन सौंपा है। मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में उल्लेखित है कि आदिम जाति कल्याण विभाग के कर्मचारी दो जून की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। विभाग में कई समस्याएं हैं, जिसमें से प्रमुख तीन मागों को लेकर इन्होंने आन्दोलन की रणनीति प्रदेश स्तर पर तय की है। इनका कहना है कि वर्षो से काम करने के बाद उन्हें डेढ़ माह से बेरोजगारी की राह पर ला दिया गया है। उन्हें कर्मचारी बतौर किसी प्रकार का कार्यादेश अप्राप्त है।
इनकी मांगों में स्वीकृत पदों के विरूद्ध कार्यरत कर्मचारी, मेस संचालन हेतु अनुभव प्राप्त सभी कर्मचारी रसोइया, जलवाहक सहित पूर्णकालिक चौकीदार, सफाई कर्मचारी को सीधी भर्ती में पूर्व आदेश के आधार पर समायोजित कर वेतन निर्धारण एवं सीधी भर्तियां रद्द करना है। इसके अलावा विभाग के नियमित कर्मचारियों के लिए नवीन पद सहायक अधीक्षक सृजित करने या अधीक्षक श्रेणी (द) पर भर्तियों पर 25 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान पर पदोन्नति प्रदान करने तक नवीन भर्तियों पर रोक लगाने, विभाग में कार्यरत समस्त कर्मचारी के लिए अन्य विभागों की तरह शासकीय अवकाश देने या फिर 13 माह का वेतन भुगतान करने की मांग की गई है। कहा गया है कि वर्षों से स्वीकृत पद के विरूद्ध कार्यरत समस्त चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को आकस्मिक निधि में समायोजन कर वेतन निर्धारण एवं पदोन्नति अनुभव को आधार मानकर, पद सृजित किया जाए या फिर अधीक्षक श्रेणी (द) के पद पर 25 प्रतिशत पदोन्नति का प्रावधान करने के बाद ही भर्तियां निकाली जाए। कर्मचारी हर स्तर पर विरोध प्रदर्शन का मन बना चुके है। इन कर्मचारियों को आपसी सहमति के आधार पर अवकाश लेना पड़ता है। आरोप है कि छुट्टी का प्रावधान नहीं होना बताकर उनसे 24 घंटे ड्यूटी ली जाती है, जिससे वे खुद को प्रताड़ित महसूस करते हैं। संघ के जिलाध्यक्ष गुड्डू राम पंडो सहित अन्य पदाधिकारियों, कर्मचारियों ने कहा है कि स्कूल शिक्षा विभाग और आदिम जाति विकास विभाग द्वारा संचालित आश्रम, छात्रावास एक दूसरे के पूरक हैं। स्कूल के कर्मचारियों को अवकाश तो मिल जाता है, लेकिन छात्रावासों के कर्मचारियों को नहीं। अत्यधिक दबाव होने तथा किसी प्रकार की सुविधाएं नहीं मिल पाने के कारण वे मानसिक, आर्थिक व शारीरिक रूप से कुंठित महसूस कर रहे हैं, इनमें आक्रोश है। कर्मचारियों ने कहा है शासन छात्रावास, आश्रमों के छात्रों के अध्ययन कार्य हेतु 10 महीने का स्वीकृति आदेश जारी करती है लेकिन छात्र वर्ष भर रहते हैं। वर्ष भर 24 घंटे अनिच्छा से कार्य लिया जाता है। शासकीय नियमों का उल्लंघन कर मानवीय दृष्टिकोण को ताक पर रखने से उनमें आक्रोश है। इन्ही मुद्दों के लिए चरणबद्ध आन्दोलन कर सम्मान जनक अधिकार लेने ये कर्मचारी सड़क पर आ गए हैं। इन्होंने मुख्यमंत्री से अपेक्षा व्यक्त की है वे उनकी बातों को संज्ञान में लेकर गंभीरता से विचार करेंगे और 30 दिनों के अंदर निराकरण की पहल करेंगे। इस दौरान काफी संख्या में आदिम जाति विकास विभाग के कर्मचारी उपस्थित थे।

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