छत्तीसगढ़ में फिर धान पर शुरू हुई राजनीति, प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष और खाद्य मंत्री आमने सामने

रायपुर/छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है क्यों कि इसकी उत्पादन यहां पर सर्वाधिक है और यही कारण है कि धान यहां के राजनीति के प्रमुख मुद्दों में एक है। पार्टियों का घोषणा पत्र हो या फिर पांच साल तक पक्ष एवं विपक्ष की राजनिति अमूमन धान, चावल और किसान पर ज्यादा केंद्रित रहती है। पूर्व में भाजपा की सरकार थी और डॉ रमन सिंह की राजनीति धान के बोनस से शुरू हुई और धान के दाम बढ़ोतरी पर समाप्त हो गई। एक ओर जहां कांग्रेस ने तीन सालों के धान का बोनस नहीं देने को चुनावी मुद्दा बनाया वहीं कांग्रेस ने तीन साल का बकाया बोनस देने के साथ-साथ, धान का मूल्य प्रति क्विंटल 2500 की घोषणा कर सरकार बना ली। कांग्रेस ने सत्ता में आते ही सबसे पहले किसानों का कर्जा माफ किया और धान 2500 रुपये प्रति क्विंटल किसानों से खरीद लिया।

अब जब कि कोरोना सहित राज्य द्वारा ऋण अधिक ले लिए जाने के कारण सरकार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, ऐसे में धान खरीदी इस वर्ष देर से शुरू करने को लेकर प्रदेश में विपक्ष की भूमिका निभा रही भाजपा ने धान खरीदी में देरी, बारदाना की कमी, धान के सड़ने का मामला, 2500 रुपये प्रति क्विंटल की घोषणा के अनुरूप किसानों के बकाया राशि को देने सहित कई मामलों को लेकर एक बार फिर से सरकार पर आरोप लगाये हैं और किसान विरोधी एवं बिचौलियों को लाभ पहुचाने की बात कही है। कल सरगुजा दौरे पर आये प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सरकार को आड़े हाथों लिया और कई आरोप लगाये।
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा की यह सरकार किसान विरोधी सरकार है जो बिचौलियों को लाभ पहुंचाने का काम कर रही है धान खरीदी में विलंब करके कांग्रेस सरकार बिचौलियों को लाभ पहुंचाने का काम कर रही है क्योंकि छोटे किसान के लगभग धान पूरे कट चुके हैं और सरकार के धान नहीं खरीदने पर किसान मजबूरन बिचौलियों को कम दाम में धान बेचेंगे और 2500 रु में धान बेचकर मुनाफा कमाएंगे। इस बात को कांग्रेस सरकार भली-भांति जानती है, तभी धान खरीदी में विलंब करते हुय धान खरीदी को 1 दिसंबर बढ़ा दिया गया है, वहीं बार दाने पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कांग्रेस सरकार के पूर्व की बारदाने कहां गए चाहे तो उनसे ही धान खरीदी प्रारंभ कर सकते हैं पुराने बार दाने अगर खराब भी हुए होंगे तो 40% ही खराब हुए होंगे बाकी के 60% से अगर कांग्रेस चाहती तो धान खरीदी प्रारंभ कर सकती थी…..

वहीं दूसरी ऒर प्रदेश के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने नेता प्रतिपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि बारदाना उपलब्ध कराना केंद्र की जवाब देही है, मांग का आधा देने की मंजूरी मिली है, फिर भी हम जरूरत के मुताबिक इसे पूरा करने प्रयासरत हैं। वहीं मंत्री भगत ने कहा कि भाजपा का काम आरोप लगाना है, वे न तो शासन में रहते three साल का बोनस दे पायें और न तो अब धान का समर्थन मूल्य बढ़ा रहे हैं, ये पूरी तरह पूंजीपतियों की सरकार है और उनके फायदे की बात करती है, मंत्री भगत ने धान खरीदी, बारदाना तथा केंद्र सरकार की नीति इस पर स्पष्ट प्रतिक्रिया देते हुए पूरे मामले को स्पष्ट कर यह कहा है कि हम तो केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले एक एजेंसी हैं।

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