छत्तीसगढ़ : गोधन न्याय योजना खोल रहा महिला समूहों के लिए रोजगार के नए -नए द्वार

   

छत्तीसगढ़/ नवाचार के लिए मशहूर अम्बिकापुर नगर निगम इस बार अनूठा नवाचार करते हुए गोबर से लकड़ी बनाने में सफल रहा है। इस काम को एसएलआरएम सेंटर की स्वच्छता दीदियों बेहतर अंजाम दे रही है। नगर निगम अम्बिकापुर के अंतर्गत आने वाले डीसी रोड स्थित एसएलआरएम सेंटर में गोबर से लकड़ी बनाने के लिए 90 हजार की लागत से मशीन लगाया गया है। गोधन न्याय योजना के तहत खरीदे गए गोबर से समूह की दीदियाँ लकड़ी के बुरादे तथा भूसा के मिश्रण तैयार कर इस मशीन से करीब ढाई फीट लंबी गोबर की लकड़ी का निर्माण कर रही है। गोबर की लकड़ी की मांग को देखते हुए सीमित संसाधन में यह आय का अच्छा जरिया बन रहा है जिससे महिलाएं आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।

समूह की दीदी श्रीमती संगीता गुप्ता ने बताया कि हम लोग गोबर से लकड़ी बनाकर रख रहे हैं। उसे सूखने के बाद बेचने की कार्यवाही की जाएगी। अभी भी गोबर की लकड़ी खरीदने के लिए आसपास के लोग पूछने आ रहे हैं। निश्चित ही गोबर की यह लकड़ी बहुउपयोगी काम की चीज है। छत्तीसगढ़ के सबसे ठण्ड प्रदेश के लिए गोबर की लकड़ी ठण्ड दूर करने में कारगर सिद्ध होगी।गोबर की लकड़ी की मांग होटलों एवं घरों में ठण्ड के दिनों में आग जलाने के लिए, धार्मिक स्थानों में विभिन्न अनुष्ठान करने जैसे हवन, यज्ञ तथा यहां तक कि अंतिम संस्कार भी बहुत ज्यादा होती है। उन्होंने बताया कि गोबर की लकड़ी बनाने के लिए सबसे आवश्यक कच्चा माल गोबर है जिसे गोधन न्याय योजना के तहत दो रुपये किलो में खरीदा जा रहा है।इसके अलावा लकड़ी का बुरादा या भूसा की जरूरत होती है। एक क्विंटल गोबर से करीब 50 किलोग्राम गोबर के लकड़ी बन जाते हैं। गोबर के लकड़ी को 6 रुपये प्रति किलो की दर से विक्री करने की योजना है। उन्होंने बताया कि जेल में खाना बनाने के लिए मांग की जा रही है। उल्लेखनीय है कि समाजिक एवं धार्मिक अनुष्ठान जैसे पूजा पाठ, हवन, अंतिम संस्कार एवं यज्ञ में अग्नि प्रज्वलित करने के साथ ही गोबर की लकड़ी ईट के भट्टे में भी उपयोग में लाई जाती है। यह तकनीक पर्यावरण प्रदूषण को कण्ट्रोल करने में सहायक सिद्ध हो सकती है।

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