वनाधिकार पत्र से वनवासियों को मिला भू-स्वामी का अधिकार

अम्बिकापुर /वनाधिकार मान्यता अधिनियम से अनुसूचित जनजाति तथा परम्परागत वन निवासियों को पुरखों द्वारा काबिज भूमि का मालिकाना हक मिल रहा है जिससे अब वनवासी शासन की योजनाओं का लाभ ले पा रहे हैं। राज्य शासन के निर्देशानुसार अब वनधिकार पट्टे की जमीन से किसान समर्थन मूल्य में धान भी बेच पा रहे हैं। सरगुजा जिले में अब तक 25 हजार 102 वनवासियों को 12770 भूमि के वनधिकार मान्यता पत्र वितरित किए गए है। इसके साथ ही वनों के सरंक्षण एवं संवर्धन के लिए सामुदायिक वन संसाधन का अधिकार अंतर्गत 216 ग्राम सभाओं को 58 हजार 866 हेक्टेयर वन भूमि के वनधिकार मान्यता पत्र वितरित किए गए हैं।

अम्बिकापुर जनपद के चठिरमा ग्राम पंचायत अंगर्गत ग्राम बढ़नीझरिया निवासी करीब 60 वर्षीय रामचंद पण्डो को 5 एकड़ वन भूमि का वनाधिकार पत्र मिला है। खेत में बोर हो जाने से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो गई है जिससे दो फसली धान के साथ ही सब्जी की भी खेती करते है। रामचन्द ने बताया कि जमीन का पट्टा मिलने से किसान क्रेडिट कार्ड बन गया है जिससे खेती के लिए खाद-बीज सहकारी समिति से आसानी से मिल रहा है। समिति में समर्थन मूल्य पर धान भी बेच पा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि आदिवासियों एवं अन्य परंपरागत वनवासियों को जंगल पर उनके अधिकारों को मान्यता देने के लिए 2006 में अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) कानून पूरे देश में लागू किया गया। प्रदेश में 13 दिसम्बर 2005 से पहले वन क्षेत्र में काबिज अनुसूचित जनजाति एवं परम्परागत वनवासियों को वनाधिकार अधिनियम अंतर्गत लाभ दिया जा रहा है।

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