भूख-प्यास से होने वाली तकलीफ महसूस करने पांच साल के मिर्जा अश्कान ने रखा पहला रोजा, गरीबों को बांटा जरूरत का सामान और उपहार में मिले रुपये का आधा हिस्सा


अंबिकापुर। मोमिनपुरा नूरानी मस्जिद के पास रहने वाले रिटायर्ड कृषि विकास अधिकारी मिर्जा इम्तियाज साहब के पोते और हाजी मिर्जा अशरफ के पांच साल के बेटे मिर्जा अश्कान ने आठ अप्रैल को रमजान के पवित्र महीने में घर के सभी लोगों को रोजा रहते देखा और पहला रोजा रखने की जिद अपने वालिद और घर के लोगों से की। बच्चे के जज्बे और जिद के आगे घर के लोगों ने उसकी बात मान ली और उसको रोजा रहने की इजाजत दे दी। इस नन्हे बच्चे ने अपनी रोजा रहने की हसरत को बखूबी पूरा किया। दिन भर घर वालों के साथ इबादत और तिलावत में शामिल रहा। बच्चे के इस जज्बे को देख घर के सदस्यों के अलावा आस-पड़ोस और मोहल्ले के लोग उसकी हौसला आफजाई करते हुए तरह-तरह के तोहफे और रुपये दिए। बच्चे ने अपने हाथों से गरीबों को जरूरत के सामान और लोगों से मिले उपहार के रुपये में से आधा हिस्सा भी दे दिया। बच्चे से बात करने पर उसने कहा कि मैं भूखे-प्यासे रहकर देखना चाहता था कि भूख और प्यास की तकलीफ कैसी होती है और जिनको खाना नहीं मिलता उन्हें कैसा लगता है। इसी जज्बे के साथ बच्चे ने आगे भी रोजा रहने की बात कही।

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