देवेंद्र फडणवीस ने दिया इस्तीफा, राष्ट्रपति शासन के अलावा राज्यपाल के पास बचे हैं क्या विकल्प? | मुंबई – समाचार हिंदी में

देवेंद्र फडणवीस ने दिया इस्तीफा, राष्ट्रपति शासन के अलावा राज्यपाल के पास बचे हैं क्या विकल्प?

नई सरकार को गठन के बारे में सोमवार को पूरे दिन मुंबई से लेकर दिल्ली और जयपुर तक अफवाहों का बाजार गर्म रहा

देवेंद्र फड़नवीस (देवेंद्र फड़नवीस) के स्वातिफे के बाद राज्यपाल (राज्यपाल) भगत सिंह कोश्यारी (भगत सिंह कोशियारी) की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो गई है। ऐसे में राज्यपाल आगे क्या निर्णय लेते हैं, इस पर सबकी निगाहें रहेंगी।

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  • आखरी अपडेट:
    eight नवंबर, 2019, शाम 5:35 बजे IST

नई दिलवाली महाराजा (महाराष्ट्र) में सरकार बनाने को लेकर बीजेपी (भाजपा) और शिवसेना (शिवसेना) के बीच बातचीत बेनतीजा रहने के बाद शुक्रवार को देवेंद्र फडणवीस (देवेंद्र फड़नवीस) ने मुख्यमंत्री मोदी को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी। उनके पास राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (भगत सिंह कोशियारी) को पत्रीएफए भेजा। महाराष्ट्र विधानसभा (महाराष्ट्र विधानसभा) के कार्यकाल का शुक्रवार को अंतिम दिन है। फडणवीस के स्वातीफे के बाद राज्यपाल (राज्यपाल) भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो गई है। ऐसे में राज्यपाल आगे क्या निर्णय लेते हैं, इस पर सबकी निगाहें रहेंगी। सवाल यह उठ रहा है कि राज्यपाल के पास राष्ट्रपति शासन (राष्ट्रपति शासन) ही अंतिम विकल्प है या कोई और रास्ता शेष शेष है। इसके साथ ही वह कौन से सरकार बनाने की कोशिशों के बीच इंतजार करेंगे या नहीं और निर्णय ले सकते हैं?

सरकार बनाने का अंतिम रास्ता

चुनाव परिणाम के बाद भी कोई राजनीतिक दल सरकार बनाने का दावा पेश नहीं कर रहा हो तो राज्यपाल सभी दलों के नेताओं से मिल सकते हैं। वह अपने विवेक के अनुसार किसी भी पार्टी के विधानमंडल दल के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं (आमतौर पर सबसे बड़ी पार्टी को ही सरकार के गठन के लिए राज्यपाल आमंत्रित करते हैं)। इसके बाद नई सरकार को बहुमत साबित करने के लिए वे 30 दिन तक का समय दे सकते हैं।

कार्यवाहक मुख्‍यमंत्री काराज्यपाल चाहते हैं तो लोकप्रिय सरकार के गठन के लिए और समय ले सकते हैं। ऐसे में वे देवेन्द्र फडणवीस को कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाए रखते हुए नई सरकार के गठन का प्रयास कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में कार्यवाहक मुख्यमंत्री के पास प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार नहीं होंगे। हालांकि फडणवीस ने शुक्रवार को स्वातिफा दे दिया है। संविधान में विधानसभा का कार्यकाल तो पांच साल तय है लेकिन कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल की कोई सीमा नहीं है। हालांकि राज्यपाल इस विकल्प को चुनें इसकी उम्मीद कम है।

देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद मुख्यमंत्री पद से त्यागतिफा दिया।

सदन का नेता चुनने के लिए कह सकते हैं

राज्यपाल चाहते हैं तो विधानमंडल दल की बैठक बुलाकर सदन का नेता चुनने के लिए कह सकते हैं और जो भी सदन का नेता चुना जाए उसे मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला सकते हैं। लेकिन ऐसी सरकार के सामने विश्वास मत का संकट रहेगा। क्योंकि सदन के नेता के चुनाव के समय तो कई विकल्प होंगे लेकिन जब बहुमत साबित करने का मौका होगा तो सिर्फ सरकार के साथ होना, विपक्ष में होना और सदन से वॉकआउट करने जैसे तीन ही विकल्प होंगे।

अंतिम विकल्प राष्ट्रपति शासन

राज्यपाल के पास राष्ट्रपति शासन का अंतिम विकल्प है। वे चाहते हैं कि विधानसभा को निलंबित रखा जाए केंद्र सरकार को प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रस्ताव भेज सकते हैं। जिस तरह राज्यपाल ने पिछले दिनों राज्य के महाधिवक्ता और मुख्य सचिव जैसे अधिकारियों के साथ बैठक की, ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

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