जमानत के मामलों की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर, कही ये बात | अल्लाहाबाद – समाचार हिंदी में

जमानत के मामलों की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती की, कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान की टिप्नपनी की।

सीजेआई (CJI) रंजन गोगोई (रंजन गोगोई) और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि ऐसे लोगों की बड़ी संख्‍या है, जिन मामलों में 20 से 25 साल तक जेल काटनी पड़ती है, जिनमें आसानी से जमानत (जमानत) मिल सकती है।

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  • आखरी अपडेट:
    four नवंबर, 2019, 3:19 बजे IST

नई दिलवाली देश की विभिन्‍न अदालतों (न्यायालयों) में जमानत (जमानत) के मामलों की सुनवाई (कोर्ट की सुनवाई) में होने वाली देरी सुप्रीम कोर्ट (सुप्रीम कोर्ट) ने सोमवार को नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) रंजन गोगोई (रंजन गोगोई) की अधिनक्षता वाली पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान इस पर चिंता व्यक्त की कि कामकाजली की खामी के चलते आरोपियों पर उनका केस पूरा होने तक 20 से 25 साल तक जेल में रहना होगा। गिर जाता है।

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट (इलाहाबाद उच्च न्यायालय) की ओर से रद्द की गई जमानत के खिलाफ दायर एक अपील पर सुनवाई हुई। इस दौरान सीजेआई रंजन गोगोई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि बड़ी संख्‍या में उन आरोपियों को 20 से 25 साल तक जेल काटनी पड़ती है, उनके मामले में जमानत मिल सकती है। यदि वे बाहर आ भी जाते हैं, तो इस दौरान उन्हें कुछ झेलना पड़ सकता है।

एक मामले में आरोपी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए उसके वकील देवद्रेडत कामत ने दलील दी कि अदालत नेय में ऐसी कोई संभावना नहीं है कि उसकी अपील पर अंतिम निर्णय लिया जा सके। ऐसे में यह उचित नहीं होगा कि आरोपी को लंबे समय तक जेल में रखा जाए।

‘पुराने मामलों की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट’सुप्रीम कोर्ट ने इस पर निर्भरता जताई और माना कि इलाहाबाद हाईकोर्ट 25 साल पुराने मामलों पर सुनवाई कर रहा है। बेंच ने कहा, ‘हम कर रहे हैं? यह सच्‍चाई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट काफी पुराने मामलों की अब सुनवाई कर रहा है। लेकिन क्या हम उन सभी आरोपियों को रिहा कर देते हैं। इस्की और उनकी याचिकाएं लंबे समय से लंबित हैं? हम भी ऐसा नहीं कर सकते। ‘

सुधार के लिए मांगे विचार

वकील देवद्रेडत कामत ने सुप्रीम कोर्ट से ऐसे मामलों के लिए कुछ गाइडलाइन तय करने की मांग की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने देवद्रेडत से इस मामले में अपने विचार पेश करने के लिए कहा। साथ ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वर्डप्रेस वकील वकील आरएस सोढ़ी से भी विचार मांगे ताकि ऐसी स्थितियों को लटका दिया जाए। सोढ़ी दिलली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज हैं। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई गुरुवार को करेगा।

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