2012 तक हालात काफी खराब थे
2012 तक चीन में वायु प्रदूषण के कारण हालात काफी खराब थे। चीन के 90 प्रतिशत शहरों की हवा का शतर वहां के निर्धारित मानकों से कई गुना अधिक था। चीन के 74 बड़े शहरों में से केवल आठ शहरों में वायु प्रदूषण निर्धारित स्तर से कम था। कुछ रिपोर्ट के अनुसार चीन में वायु प्रदूषण से हर साल पांच लाख लोगों की मौत समय से पहले हो जाती थी।
2013 में छेदींग जंगवायु प्रदूषण और धुंध की चादर से ढके रहने वाले चीन के शहरों खासकर बीजिंग के कारण चीन की दुनिया भर में आलोचना होने लगी थी। बीजिंग के लोगों की मा मा लगाई हुई तस्विर वैश्विक मीडिया में प्रकाशित हो रही थीं। ऐसे में चीन ने इस समसया को दूर करने के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्णय लिया।

चीन के बड़े शहर धुंध की चादर में लिपटे रहते थे।
चीन ने 2013 में नेशनल एक्शन पेनलन ऑन एयर पोल्शन लागू किया। सरकार ने इस पर 277 अरब डॉलर खर्च करने का फैसला लिया था। इसके साथ ही योजनाओं को अमल में लाना शुरू कर दिया गया। इसे युद्ध स्तर पर लागू किया गया।
चीन ने उठाया ये कदम
1। उत्तर चीन और पूर्वी चीन से अन्य स्थानों पर ले जाया गया या बंद कर दिया गया। ऐसा वायु प्रदूषण कम करने के लिए किया गया। बहुत से स्टेशनरी में उत्पादन कम कर दिया गया।
2। चीन ने देश में कोयले का लाभ दिया।
3। जर्जर वाहनों को सड़कों से बचाया गया और बीजिंग, शंघाई और गुआंगझोऊ में सड़कों पर कारों की संख्या कम कर दी गई।
4। तेल आधारित नए प्लांट्स को मंजूरी देनी बंद कर दी गई। अगर दी भी गई तो उन्हें बीजिंग और बड़े शहरों से दूर रखा गया।
5। बड़े शहरों में बड़े-बड़े एयर प्यूरीफायर लगाने की योजना शुरू की गई।
6। ताजी हवा के गलियारे बनाए गए, जिसके तहत बड़े पैमाने पर पेड़ लगाए गए।
7। बड़े शहरों में लो कॉर्बन पार्क बनाए गए यानि वे इलाके जो कम कॉर्बन का कार्य करते हैं।
8। चीन में औद्योगिक कामों को लेकर गया गया। कई कॉक खदानें भी बंद कर दी गईं।
9। चीन सरकार की ओर से वायु प्रदूषण को रोकने और कम करने के लिए कई कदम अब भी उठाए जा रहे हैं। देश के प्रमुख शहरों में 2020 तक वायु प्रदूषण 60 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है।

दिलनाली में इन दिनों कुछ ऐसे हैं।
चूल्हे के नक्शों पर अकाल रुक गया
जिस तरह भारत के पंजाब और हरियाणा के इलाकों में पराली जलाने के कारण धुंध और वायु प्रदूषण बढ़ा है। वैसे ही चीन में भी चूल्हा जलाने पर इसमें उठ हो रही थी। बीजिंग में पहले 40 लाख घर, स्कूल, अस्पताल और आफिसों में कोयले का इस्तेमाल हुआ के रूप में होता था।
लोग ठंड से बचाव के लिए इसकी तलाश करते थे। सरकार ने अचानक चूल्हे के संरक्षण पर रोक लगा दी। इससे लोगों को थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन वायु प्रदूषण में काफी मदद मिली। लोगों को चूल्हे की जगह नेचुरल गैस या बिजली हीटर मुहैया कराए गए।
काफी हद तक खत्म हो गया है
कई महत्वपूर्ण एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार चीन के बीजिंग और अन्य शहरों में प्रदूषण में लगभग 50 प्रतिशत तक की कमी आई है। अब बीजिंग में नीला आकाश दिखने लगा है। स्कूलों का बंद होना बंद हो गया है। लोग अब बिना किसी परेशानी के अपने घरों से निकलते हैं। सरकार ने एक नई पर्यावरण नियंत्रण संस्था भी बनाई।
चीन के 74 शहरों को वायु प्रदूषण घटाने के लिए सबसे पहले चुना गया था। इन मानकों के अनुसार योजनाएं लागू की गई हैं। इसका असर यह हुआ कि पीएम 2.5 प्रदूषक तत्व का शतर वातावरण में 2013 से 2018 के बीच 42 प्रति घट गया। सल्फर डाइऑनॉफ़ाइड के शतर में इस दौरान 68 प्रति की कमी आई।
2014 में केवल बंद कर दिए गए 392 कारखाने थे
चीन का सबसे प्रदूषित शहर बीजिंग था। सरकार ने बीजिंग की हवा सुधारने में सबसे ज्यादा काम किया। 2014 में 392 कारखाने बंद कर दिए गए। जिनमें सीमेंट, कागज, कपड़ा और रसायन के प्रमुख थे। स्टील और पेंटिंग के उत्पादों में एक तिहाई उत्पादन कम करने के आदेश दिए गए थे।
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