कभी दिलनाली में दुकान चलाते थे हरियाणा सीएम मनोहर लाल खट्टर, 2014 में जीत पहले चुनाव थे

हरियाणा के मुख्य शिक्षा मंत्री मनोहर लाल खट्टर हैं।

हरियाणा के मुख्य शिक्षा मंत्री मनोहर लाल खट्टर हैं।

आरएसएस के प्रचारक रहे मनोहर लाल खट्टर (मनोहर लाल खट्टर) ने 2014 में पहली बार चुनाव जीता था। खट्टर के रूप में हरियाणा (हरियाणा) को पहली बार गैर जाट मुख्यमंत्री मिला। इस बार फिर बीजेपी राज्य में उनके नाम पर ताल ठोक कर चुनाव लड़ेगी।

नई दिलवाली हरियाणा (हरियाणा) । वर्ष 2019 का विधानसभा चुनाव (हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019) जहां कांग्रेस बिना किसी चेहरे के लड़ेगी तो बी.जे.पी. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (मनोहर लाल खट्टर) के नाम पर ताल ठोक कर चुनाव लड़ेगी। मनोहर लाल खट्टर के रूप में बीजेपी (भाजपा) ने पांच साल में पहली गैर जाट चेहरा हरियाणा की राजनीति में स्थापित किया है और अब उस नाम को भुनाने का वक्त है। मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में बीजेपी के भरोसे पर खरा उतरने में कामयाब रहे हैं। खट्टर पहली बार विधायक बने और पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री भी। शुरुआत में ये कहा जाता था कि मनोहर लाल खट्टर को शासन का तजुर्बा नहीं है। लेकिन मनोहर लाल खट्टर ने प्रशासन पर पकड़ साबित कर ये बता दिया कि वो राजनीति के साथ साथ राज-काज में भी सुधार कर रहे हैं।

खट्टर के लिए मुख्‍यमंत्री काल का टेस्‍ट होगा यह चुनाव

मनोहर लाल खट्टर पहले राजनीतिक परीक्षा कर चुके हैं लेकिन साल 2019 का विधानसभा चुनाव उनकी असली अग्निपरीक्षा होगी क्योंकि ये उनके मुख्यमंत्री काल का भी टेस्ट होगा तो उनकी राजनीतिक क्षमताओं का भी इम्तिहान होगा। हालांकि आरएसएस की पृष्ठभूमि से आया खट्टर के लिए ये चुनौती मुश्किल नहीं होगी। बतौर संघ के प्रचारक और फिर नेता के रूप में संगठन की दृढ़ता और प्रबंधन में खट्टर उपयोग कर रहे हैं। संघ की कसौटी पर खरा उतरने के बाद ही खट्टर को सत्ता की सीढ़ियों पर चढ़ने का मौका मिला।

2014 में पहला चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बनेराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अतीत मनोहर लाल खट्टर को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने में कड़ी साबित हुई। मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के दसवें मुख्यमंत्री हैं। आरएसएस के प्रचारक रहे मनोहर लाल खट्टर ने साल 2014 में पहला दफ चुनाव जीता। हरियाणा में भूपिंदर सिंह हुड्डा की सरकार के वक्त हुए चुनाव में खट्टर ने करनाल में करिश्मा कर दिखाया। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह नरवाल को 63,736 वोटों के भारी अंतर से हराकर 2014 के चुनावों में अपना पहला चुनाव जीता। मनोहर लाल खट्टर को संघ की सेवा का फल भी मिला कि जिस चेहरे से लोग 2014 के विधानसभा चुनाव तक अंजान थे उसी चेहरे ने पहले दफ चुनाव जीतकर ही मुख्यमंत्री पद का ताज भी पहना।

दिलनाली के सदर बाजार में खोली की दुकान थी

खट्टर खत्री जाति से आते हैं। वे मूल रूप से पंजाबी हैं। खट्टर का जन्म 5 मई 1954 को रोहतक जिले की महम तहसील के निदाना गांव में हुआ। दरअसल, उनके परिवार बंटवारे के बाद पाकिस्तान को छोड़कर रोहतक जिले के बिदाना गांव में बस गए थे। खट्टर की स्कूली शिक्षा रोहतक में ही हुई। 10 वीं पास करने के बाद वे रोहतक से दिल्ली आ गए। दिल्ली विश्‍वविद्यालय से उन्होंने ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने सदर बाजार में एक दुकान खोल ली। वह शिशु का दौर था। उस दौरान खट्टर RSS के संपर्क में आए।

24 साल की उम्र में आरएसएस के सदस्से बने

वर्ष 1977 में केवल 24 वर्ष की आयु में ही खट्टर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ली। 27 साल की उम्र में वे संघ के प्रचारक बन गए। 14 साल तक वह लगातार संघ के लिए प्रचार करते रहे। वर्ष 1994 में खट्टर बीजेपी में शामिल हुए। बीजेपी ने खट्टर को हरियाणा का महासचिव बनाया। वर्ष 2014 तक वे हरियाणा के प्रदेश महासचिव के पद पर बने रहे। हरियाणा के सीएम हे के अलावा वे बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य भी हैं।

संघ के प्रचार में समर्पित जीवन

मनोहर लाल खट्टर अविवाहित हैं। उन्होंने अपना जीवन संघ के प्रचार में समर्पित कर दिया। संघ के प्रचारक के दौर में ही उनकी मुलाकात पीएम नरेंद्र मोदी से हुई थी। मोदी उस वक्त हरियाणा बीजेपी के प्रभारी हुए थे। दोनों की घनिष्ठता और आपसी संबंध भी एक बड़ी वजह है कि मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। हरियाणा में बेटों के मुकाबले बेटियों के कम होते अनुपात के कारण से पीएम मोदी ने अपने महत्वाकांक्षी अभियान, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की शुरुआत भी हरियाणा से की।

हरियाणा के पहले गैर जाट सीएम खट्टर हैं

खट्टर के रूप में हरियाणा को पहली बार गैर जाट मुख्यमंत्री मिला। 26 अक्टूबर 2014 को हरियाणा के सीएम पद की शपथ लेने वाले खट्टर पहले बीजेपी नेता बने। हालांकि खट्टर प्रशासन पर लॉ एंड ऑर्डर को लेकर कई दफे सवाल उठे। डेरा सच्चा नायडू के प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम की गिरफ्तारी के बाद पंचकुला हिंसा की आंच खट्टर सरकार भी आई। इसी तरह गुर्जर आरक्षण के दौरान राज्य में हुई हिंसा और आगजनी की आंच भी खट्टर सरकार पर आई।

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