आरक्षण विधेयक ठंडे बस्ते में, लाचार युवा प्रतियोगी परीक्षा निकालने के बाद भी रह गये बेरोजगार

एक ओर छत्तीसगढ़ सरकार कहती है बेरोजगारी दर प्रदेश में एक प्रतिशत भी नहीं है, वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के बेरोजगार युवाओं का भविष्य अधर में है। 7 लाख से अधिक बेरोजगार अपने भविष्य को लेकर चिंतिंत है, किन्तु न तो सरकार यह बता पाने लायक है और नहीं न्यायालय कि कब तक युवाओं के भविष्य का फैसला हो सकेगा। दरअसल छत्तीसगढ़ में शुरू हुई आरक्षण की राजनीति से आज हरवर्ग परेशान है। अनुसूचित जाति से लेकर अनुसुचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग से लेकर सामान्य वर्ग के युवा सभी छत्तीसगढ़ में शुरू हुई आरक्षण के विवाद पर अब विराम चाहते हैं। आरक्षण को लेकर शुरू हुई राजनीति का खामियाजा अब युवाओं को भुगतना पड़ रहा है। पीएससी सहित व्यापम द्वारा निकाले गये विभिन्न विभागों के लगभग 2000 पदों पर भर्तियां लंबित है। केवल सीजीपीएससी में 751 पदों पर भर्ती लटकी हुई है, जिसमें प्रथम स्तर से लेकर अंतिम स्तर तक की परीक्षा अथवा अन्य जांच पूर्ण कर लिये गये हैं, किन्तु आरक्षण को लेकर शुरू हुई राजनीति ने इन भर्तियों पर विराम लगा दिया है। पीएससी के अलावा व्यापम में भी कई भर्तियां लंबित हैं, सब इंस्पेक्टर भर्ती से लेकर, विधानसभा के लिये निकाले गये भर्ती, डाटा इण्ट्री ऑपरेटर की भर्ती सहित कई भर्तियां हैं, जहां सारी प्रक्रिया पूर्ण करने अंतिम सूची की प्रतिक्षा में युवा चिंतित हैं।

आखिरकार आरक्षण की यह पूरी लड़ाई है क्या दरअसल 18 जनवरी 2012 को छत्तीसगढ़ में 58 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था लागू की गई। आरक्षण अधिनियम 1994 में संशोधन करते हुए इसके धारा 4 को रद्द कर 50 प्रतिशत के आरक्षण की सीमा को समाप्त करते हुए, आबादी के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था तत्कालीन भाजपा के शासनकाल में छत्तीसगढ़ में लागू हुई। इसके लागू होने के बाद एक नहीं बल्कि कई याचिका बिलासपुर हाईकोर्ट में लगाई गई और 58 प्रतिशत आरक्षण के विरोध में 2012 से लेकर 2022 तक लंबी बहस चली, सुनवाई हुई, जिसका परिणाम निकला कि 19 सितम्बर 2022 को हाईकोर्ट बिलासपुर ने तमाम दलिलों को सुनते हुए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था को लागू करते हुए , 58 प्रतिशत की व्यवस्था रद्द कर दी। जिसमें न्यायालय से जस्टिस की इस टिप्पणी पर भी गौर करना चाहिए कि सरकार अदालत में सही तरीके से आरक्षण पर जानकारी नहीं रख पायी, अंतिम सुनवाई में भी सरकार की ओर से अदालत में समय मांगा गया और न्यायालय ने कहा अब बहुत हुआ, आपको पर्याप्त समय दिया गया। अदालत के 19 सितम्बर 2022 के फैसले के बाद प्रदेश भर में आरक्षण को लेकर विपक्ष सहित कई आदिवासी संगठनों ने व्यापक स्तर पर विरोध शुरू कर दिया। चारों ओर से घिरती जा रही सरकार ने इस पर 3 दिसम्बर 2022 को नया आरक्षण बिल लाते हुए अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत और सामान्य वर्ग के गरिबों को 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान कर दिया, जिसके तहत आरक्षण 50 या 58 प्रतिशत नहीं, बल्कि बढ़ कर 76 प्रतिशत तक पहुंच गई। इस बिल को राज्यपाल के पास भेजा गया, राज्यपाल अनुसुईया उईके ने फरवरी माह तक इस बिल पर कोई फैसला नहीं दिया, राजभवन में इसे लटकाये रखा। 12 फरवरी को देश के कई प्रदेशों में राज्पाल बदले गये और छत्तीसगढ़ से अनुसुईया उईके की भी रवानगी हुई और 23 फरवरी को नये राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में शपथ ली, लेकिन अब तक आरक्षण बिल पर उनकी ओर से भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है। आगामी समय में नवम्बर-दिसम्बर में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है, ऐसे में युवाओं में काफी निराशा एवं आक्रोश है कि कहीं यह बिल और आरक्षण का यह मुद्दा ज्यादा समय तक लटका रहा तो फिर चुनाव के बाद ही कोई परिणाम निकल सकेगा और फिर आगे क्या होगा इसे लेकर सभी चिंतिंत हैं। विधानसभा में पास हुई आरक्षण बिल के बाद सत्ता पक्ष एवं विपक्ष दोनों शांत हैं, इस मामले को लेकर इनका रुख आगे क्या रहेगा, क्या इस चुनाव में आरक्षण ही मुद्दा बनेगा, यह भी एक गंभीर विषय है। आरक्षण को लेकर विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि 76% तक आरक्षण राज्यपाल से यदि हस्ताक्षर हो भी जाये तो कितना दिन टिकेगा इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता है।

आपको यदि हम लंबित भर्तियों का आंकड़ा दें तो छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा निकाले गये विभिन्न पदों की जानकारी कुछ इस प्रकार हैं, जहां प्राथमिक एवं अंतिम स्तर तक की परीक्षायें पूर्ण कर ली गई है और परिणाम का इंतजार है:- हाउसींग एण्ड इन्वायरमेंट डिपार्टमेंट के तहत् असिस्टेंट डायरेक्टर रिसर्च के 2 पदो के विरूद्ध 247 प्रतिभागी अभी भी अंतिम फैसले के इंतजार में हैं। इसी प्रकार अलग-अलग विभागों में रिक्ततियों के लिये निकाले गये पीएससी के 171 पदों के विरूद्ध 1,29,206 आवेदन आये थे, जहां 509 प्रतिभागीयों को अंतिम परिणाम का इंतजार है। वहीं छत्तीसगढ़ वन सेवा के 211 पद के विरूद्ध 95,990 आवेदन आये थे, जिसमें 635 उम्मीद्वारों को अंतिम परिणाम का इंतजार है। वहीं अलग-अलग विभागों के लिये पीएससी द्वारा निकाले गये स्टेट इंजिनियरिंग सर्विस के 85 पदों के विरूद्ध 19,908 आवेदन आये जहां पर लिखित परीक्षा का परिणाम अभी भी लंबित है। स्वास्थ्य शिक्षा विभाग के आयुर्वेदा मेडिकल आफिसर, फिजियोथैरिपिस्ट, कैज्यूलटी मेडिकल ऑफिसर के 168 पदों के विरूद्ध 3,158 आवेदन आये, जो लिखित परीक्षा के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। वहीं पीएससी द्वारा अलग-अलग विभागों के लिये निकाले गये चपरासी के 91 पदों के लिये 2,16,501 आवेदन आये, जो कि लिखित परीक्षा के परिणाम का आज भी इंतजार कर रहे हैं। वहीं पीएससी के द्वारा ही निकाले गये गृह विभाग के साइंटिस्ट ऑफिसर के 23 पदों के विरूद्ध 939 आवेदन आये जो कि आज भी लिखित परीक्षा के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। इन सभी पदों को यदि मिलाया जाये तो कुल 751 पदों पर पीएससी ने भर्ती निकाली जिसमें 6, 68, 811 युवा बेरोजगारों ने आवेदन किया था, जिसके परिणाम आज भी लंबित हैं।

वहीं छत्तीसगढ़ व्यापम द्वारा निकाले गये कई परीक्षा के परिणाम भी लंबित हैं, सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा 2018 के 975 पद, साइंटिस्ट भर्ती, पटवारी नियुक्ति, डाटा एण्ट्री ऑपरेटर नियुक्ति सहित विधानसभा में भर्ती, विद्युत विभाग में डाटा एण्ट्री ऑपरेटरों के 400 पद सहित विद्युत विभाग में जेई के पद व जल संसाधन विभाग में जेई के 400 पद सहित कई अन्य भर्तियां लंबित होने से युवाओं में काफी आक्रोश इस समय है। वहीं नई नियुक्तियों के लिये भी नोटिफिकेशन जारी नहीं हो रहे हैं, जिनमें 12,400 पदों पर शिक्षकों की भर्ती होनी है, जबकि सहायक विकास विस्तार अधिकारी के 250 पद, हॉस्टल अधिक्षक के 400 पद सहित लेबर इंस्पेक्टर, रेवेन्यू इंस्पेक्टर, आमीन पटवारी सिंचाई विभाग की भर्ती के नोटिफिकेशन आरक्षण व्यवस्था को लेकर शुरू हुए विवाद के कारण रूके हुए हैं।

काफी बेरोजगार युवा ऐसे उम्र सीमा में हैं जहां पर नौकरी हेतु निर्धारित उम्र सीमा समाप्त होने को है, ऐसे में अंतिम प्रकाशन सूची का इंतजार कर रहे युवाओं में निराश है कि कहीं आरक्षण में फेरबदल जैसी स्थिति बनी और पुराने कट आउट को नये नियम के आधार पर लागू किया गया तो कहीं नौकरी हाथ से न निकल जाये, वहीं कई स्थानों पर तो युवाओं की उम्र सीमा ही समाप्त होने को है, ऐसे में यदि भर्ती प्रक्रिया निरस्त हुई तो नये भर्ती में उन्हें मौका मिलेगा या नहीं। ऐसी शंकाओं-आशंकाओं से युवाओं की स्थिति छत्तीसगढ़ में अभी काफी भयावह है, युवा नौकरी के इंतजार में भारी मानसिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं और भर्ती की प्रक्रिया को पूर्ण कराने हाईकोर्ट का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन वहां भी सरकार जवाब नहीं दे रही है, जिससे केस के लंबा खिंचने से युवा परेशान हैं। आगे अब देखना होगा कि 76 प्रतिशत आरक्षण को लेकर राज्यपाल सहित न्यायालय का क्या फैसला आता है और छत्तीसगढ़ के बेरोजगार युवाओं के भाग्य का फैसला क्या होगा और कब होगा, इस पर सबकी नज़रे टिकी हुई हैं।

  • अंचल ओझा, प्रधान संपादक

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